Makar Sankranti: तमिलनाडु के साथ-साथ विदेशों में मनाया जाता है पोंगल, जानें इसकी खासियत

Tuesday, Jan 14, 2020 - 04:20 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Makar Sankranti: वैसे तो हमारे देश में त्यौहारों की कमी नहीं जो मनाए तो हर किसी के द्वारा जाते हैं परंतु इन्हें मनाने का ढंग सबका अलग-अलग होता है। इन्हें त्यौहारों में से एक है हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार मकर संक्रांति, जो मनाया तो दुनिया भर के बहुत देशों में है मगर इसे मनाने की पंरपराएं सभी की विभिन्न है। बता दें मुख्य रूप से ये त्यौहार भारत में मनाया जाता है। यहां पर इस दिन सबसे अहम मान्यता गंगा स्नान व सूर्य पूजन की है। इसका कारण है मकर संक्रांति के दिन सूर्य का राशि परिवर्तन। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर अपने पुत्र की राशि में यानि मकर मे प्रवेश करते हैं। जिसके बाद सभी के तरह के मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। जैसे कि उपरोक्त हमने बताया कि इस दिन इस अन्य देशों व शहरो में मनाया जाता है तो आगे की जानकारी इसी से संबंधित है कि मकर संक्रांति के दिन तमिलनाडु में मनाया जाने वाला पोंगल त्यौहार अन्य और कहां-कहां मनाया जाता है।

दक्षिण भारत में जब सूर्य उत्तरायण स्थिति में आता है तो यहां पोंगल का नामक त्यौहार की धूम देखने को मिलती है। बताया जाता है ये त्यौहार यहां के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। बता दें पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव है। पारंपरिक रूप से यह त्यौहार संपन्नता का प्रतीक माना जाता है जिसमें समृद्धि की कामना से वर्षा, धूप तथा खेतिहर मवेशियों की आराधना की जाने की रिवाज़ है। ये तो हुई तमिनाडु की बात, मगर क्या आप जानते हैं यह त्यौहार मलेशिया तमिलनाडु के अलावा श्रीलंका, मलेशिया, मॉरिशस, अमेरिका एवं कनाडा में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

इस तरह मनाया जाता है अन्य देशों में यह त्योहार
बता दें सूर्य का उत्तरायण में जाना यानि ऋतु परिर्वतन का संकेत होता है। भारत में ही नहीं बल्कि अलग-अलग राज्यों में इसे दूसरे नामों से मनाया जाता है। यही नहीं एशियाई देशों की बात करें तो, नेपाल में माघे-संक्रांति, सूर्योत्तरायण, थाईलैंड में भी इसे मनाया जाता है। तथा यहां इसे सॉन्कर्ण के नाम से जाना जाता है। हालांकि यहां की संस्कृति भारतीय संस्कृति से बिल्कुल अलग है।

थाइलैंड की बात करें तो यहां के लोगों द्वारा बताया जाता है कि यहां प्राचीन समय में प्रत्येक राजा की अपनी विशेष पतंग होती थी जिसे जाड़े के मौसम में भिक्षु और पुरोहित देश में शांति और खुशहाली की आशा में उड़ाई जातीं थी। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए यहां के लोग अपनी प्रार्थनाओं को भगवान तक पहुंचाने के लिए वर्षा ऋतु में पतंग उड़ाते हैं। म्यांमार में इस दिन को थिनज्ञान त्यौहार के नाम से मनाया जाता है, जो बौद्धों से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है ये त्योहर लगभग 3-4 दिन तक चलता है। माना जाता है कि नए साल के आने की खुशी में भी यह पर्व हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है।

श्रीलंका एवं कंबोडिया में कुछ इस अंदाज़ में मनाया जाता है ये खास पर्व
श्रीलंका में मकर संक्रांति मनाने का तरीका भारतीय संस्कृति से थोड़ा अलग है। यहां इसे 'उजाहवर थिरुनल' के नाम से मनाया जाता है। यहां के लोग इसे पोंगल भी कहते हैं, क्योंकि यहां बहुत से लोग ऐसे रहते हैं जो तमिलनाडु के रहने वाले हैं। ऐसे ही कंबोडिया में मकर संक्रांति को 'मोहा संगक्रान' के नाम से जाना जाता है। यहां पर भी भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। मान्यता है कि यहां के लोग इस पर्व को नए साल के आगमन की खुशी में मनाते हैं।

Jyoti

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