संसार है रंगों का गुलाम, जानें अपना और दूसरे का भविष्य

Wednesday, Nov 25, 2020 - 09:45 AM (IST)

  शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Color Psychology: रंग प्रकृति की अनूठी देन है। सदियों से रंगों के शक्तिशाली प्रभाव को मनुष्य अनुभव करता आ रहा है। हम किसी रंग को अधिक और किसी को कम पसंद करते हैं। रंग की इस पसंद से हम अपना और दूसरे का भविष्य भी जान सकते हैं। रंगों का सही उपयोग सुख-शांति समृद्धि बढ़ा सकता है जबकि लापरवाही मानसिक, शारीरिक स्तर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।  मनुष्य में शारीरिक, मानसिक कष्टों को तथा जीवन के अनेक नकारात्मक प्रभाव को दूर करने में रत्न और खास रंग के परिधान पहनकर रोगों और समस्याओं से काफी हद तक लाभ पाया जा सकता है।

What is the importance of color in life: प्रत्येक मनुष्य के चारों ओर रंगों का एक आभामंडल होता है जो उसके स्वभाव और स्वास्थ्य की स्थिति दर्शाता है। इस आभामंडल के रंगों की कमी या अधिकता से मनुष्य में स्वभाव तथा आने वाले संभावित रोगों का अनुमान लगाया जा रहा है।

Will life be colourful if you just add colours to your life: क्या आप इस तथ्य से परिचित हैं कि प्रात: जो रंग पहना जाता है वह दिनभर आपके स्वभाव को प्रभावित करता है? संभवत: यही कारण है कि लोग सदियों से स्वास्थ्य लाभ के लिए रंगोपचार का उपयोग करते रहे हैं। यूनान में जहां लोगों को विभिन्न कांच के पैनल व खिड़कियों से आती रोशनी में बिठाया जाता है वहीं मिस्रवासी उपचार को शरीर में ही सील करने के लिए व्यक्ति को रंग से भरे बड़े बर्तनों में बिठाया करते थे।

What does it mean to be colourful in life: विभिन्न शोधों से यह पता चला है कि रंगों का सही उपयोग कर प्रेरणा, एकाग्रता और स्मरण शक्ति की भी सीमा बढ़ाई जा सकती है। रंगों की संरचना तथा सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है ‘इंद्रधनुष’  जिसका सर्वाधिक शक्तिशाली रंग है ऊर्जा, शक्ति व ओजस्विकता का प्रतीक लाल। यह रंग अवसाद को दूर करता है। लाल रंग पहनने का तात्पर्य है कि व्यक्ति शक्ति सम्पन्न है। ऊर्जा की कमी अनुभव होने पर लाल रंग पहनने से सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है। चूंकि ऊर्जा का स्तर बढ़ने से शरीर का तापमान भी बढ़ता है, अत: इसे प्रेम का रंग भी माना गया है।

Can color psychology improve our lives: मस्तिष्क को स्पंदित सुदृढ़ बनाने वाले रंग है पीला। पीला रंग पहनने से सृजन शक्ति और मानसिक सजगता तो बढ़ती ही है, तनाव भी दूर होता है और व्यक्ति अपनी बौद्धिक तथा सृजनात्मक क्षमता दोनों का ही दोहन करने की शक्ति प्रदान करता है।

नीला रंग शांति का प्रतीक है। इनमें मानसिक शांति प्रदान करने की विशेषताएं हैं। यह रंग पहन कर अपने विचार रखने में सुविधा होती है। इन तीन रंगों को मिलाकर बना रंग पहनने से ही लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। लाल व पीला रंग मिलाकर बना नारंगी या केसरिया रंग लाल की शक्ति व पीले की मानसिकता क्षमता दोनों ही प्रदान करता है।

How Colors Affect Your Everyday Life: श्रीमद् भगवद्गीता के अनुसार तीन प्रकार की प्रकृति के व्यक्ति होते हैं सतोगुणी, रजोगुणी एवं तमोगुणी। इन तीनों को नीले, पीले और लाल रंग से भी दर्शाया जा सकता है। सतोगुणी या नीला रंग सच्चाई एवं प्रेरक स्वभाव को दर्शाता है। यह शीतल प्रकृति का है।

रजोगुणी या पीला रंग क्रियाशीलता एवं साहस की ओर संकेत करता है। साथ ही यह चिड़चिड़ेपन को नियंत्रित करता है। तमोगुणी या लाल रंग उग्रता तथा उत्तेजक स्वभाव का प्रतीक हैं। लेकिन सत्वरस और तम तथा  इनके प्रतिनिधि रंग को लेकर विद्वानों में मतभेद है। जैसे तमोगुण में आसुरी प्रवृत्ति अधिक होती है जबकि लाल रंग उत्साह का रंग है इसलिए कई विद्वान लाल रंग को रजोगुण का प्रतीक मानते हैं क्योंकि सक्रियता रजोगुण का प्रमुख गुण है। तमोगुण का रंग इसलिए काला है, गहरा नीला भी माना जा सकता है।

इसी प्रकार श्वेत, केसरिया पीला रंग सत्व रंग का आत्मचिंतन सात्विकता, पवित्रता का प्रतीक भी कई विद्वान मानते हैं। वस्तुत: प्रत्येक व्यक्ति में तीनों गुणों का मिश्रण होता है इसलिए व्यक्ति की मनोदशा के अनुसार भी रंग को चुनने में बदलाव करता रहता है। हर रंग कुछ बोलता है। बिना रंगों के तो आम जीवन की कल्पना कर ही नहीं सकते। हर रंग का कुछ अर्थ है जिसे प्राय: हम समझ नहीं पाते हैं। आपको अपने भाव प्रकट करने हों या किसी को कुछ उपहार में देना हो, इसका चुनाव आप रंगों के माध्यम से ही करते हैं।

The importance of colors in our life: रंग सत्य है। रंग आनंद है। रंग ही सौंदर्य है। रंग विमुखता अंधकार है, सो आदिदेव भोले संकर ने अपनी देह को श्मशान धूलि से रंग लिया। परित्यक्त रंग त्रिपुंड बन गया। विष्णु को पूजा की अनंत बामनाओं के संरक्षण का भावबोध था।  ऐसे में उन्हें अनंत का नीला रंग ही अनुकूल लगा। ब्रह्मा सबसे बुद्धिमान, ये बुद्धिमान को सयाना रंग ही शोभा देता है। जीव-अजीव, जितने रूप उतने रंग। सबका अपना अपना रंग। रंग नाम बन गया। रंग पहचान बन गया। हरे रंग से आच्छादित पृथ्वी को ‘हरि’ कहा गया। हरिताभ के कारण दूर्वा के लिए ‘हरिद्रा’ नाम स्वीकृत हुआ।

रंग और रूप एक-दूसरे के पूरक हैं। रंग-रूप का शृंगार है और रूप का रंग का आधार है। रंग का अर्थ ‘प्रभाव’ भी है। स्वप्नों में रंग ही मिले होते हैं। यह रंग दूसरे लोकों में घुमा लाते हैं। ये रंग भविष्य का दूत बनकर हमें संकेत करते हैं कि हम स्वयं अपने प्रयत्नों से जीवन का लक्ष्य प्राप्त करें. संघर्ष में जीवन को गतिमान बनाएं। रंग जीवन है। जीवन में राग है-रंजयति इति राग:। अपने मौलिक भाव में राग दृश्य है रंग है। संगीत शास्त्र के विद्वानों ने कहा है-रागों में रंग की उपस्थिति है। राग रंग के अनुशासन में बांधे गए हैं। रंगों के अभाव में किसी का कार्य नहीं बनता।

 How Colors Can Affect You: रंगों की अपनी ऊर्जा होती है, वह गतिशीलता प्रदान करती है। विचारों भावनाओं तक को हम रंगों के माध्यम से व्यक्त कर सकते हैं। इसीलिए विज्ञापनों में रंगों के द्वारा कई बार कठिन संदेशों को अभिव्यक्त करते हुए पाया जा सकता है।

न्याय का प्रतिनिधित्व ‘शनि’ करता है जो व्यक्ति के कर्मों के अनुसार शुभाशुभ फल देता है। इसलिए अगर न्यायाधीश और वकील काला कोट पहनते हैं तो ठीक ही है।  सूर्य की किरणों में सात रंगों का समावेश है जिसे प्रकृति ने मानव के स्वास्थ्य  को उत्तम बनाए रखने के लिए प्रदान किया है। सूर्य की किरणों में बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल रंग विकीर्ण होते हैं इन रंगों के अलावा इंफ्रा रैड तथा अल्ट्रा वायलैट किरणें भी सूर्य के प्रकाश में पाई जाती हैं। इन किरणों को नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता। राहू और केतु इन दोनों के प्रतिनिधि हैं।

How Color Impacts Emotions and Behaviors: जीवन में ज्ञान, प्रेम, शुभ कर्म करने का उत्साह, शक्ति, त्याग, ईश्वर शक्ति आदि सभी इन रंगों के गुलाम हैं। प्राचीन काल में रंगों को प्राकृतिक शक्तियों से जोड़ा जाता था तदनुसार अग्रि का रंग लाल होने के कारण लाल रंग अग्रि का प्रतीक है।आधुनिक समय में भी हम अपने अनजाने अपनी परम्परा में प्रचलन के तौर पर रंगों का जो प्रयोग कर रहे हैं उसमें प्रकृति के साथ तालमेल तथा स्वास्थ्य रक्षा का भाव बना हुआ है।

 

 

Niyati Bhandari

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