होलिका दहन: ये है शुभ मुहूर्त और पूरा विधि-विधान

Wednesday, Mar 20, 2019 - 10:13 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)

रंग और अबीर का त्यौहार होली विश्वव्यापी त्यौहार है और प्राय: सभी देशों में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। यह पर्व फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली से आठ दिन पहले होलाष्टक प्रारंभ हो जाते हैं जिसमें कोई शुभ कार्य नहीं करते। होली के दिन हनुमान जी तथा पितरों को प्रणाम करें। धूप, दीप जला कर चावल, फूल, रोली, मौली, प्रसाद तथा नारियल चढ़ाएं। सपरिवार प्रणाम करके तिलक लगाएं। अपने इष्ट देवता का ध्यान करें।

होली से 1 रात पहले कर लें ये महाटोटका, नकारात्मक शक्तियां हमेशा रहेंगी दूर

होली के दिन शाम को पकवान बनाएं। गुजिया, हलवा, पूरी, सब्जी, दही बड़े आदि बनाकर, सबसे पहले देवताओं की थाली निकाल दें, भगवान को भोग लगाएं। गरीब और ब्राह्मण को जिम्मा दें। यदि किसी के बेटा या बेटे के विवाह का उजमन करना हो तो होली के दिन तेरह जगह चार-चार पूरी तथा थोड़ा हलवा रखकर श्रद्धानुसार दक्षिणा रखकर हाथ फेरकर सासु जी के पैर छूकर दें। इस उजमन को करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

पूजन विधि: जल, रोली, चावल, मौली, फूल, गुड़, गुलाल, माला चढ़ाओ, दीया जलाकर होली की चार फेरी दे। बिड़कल्ले (गोबर से बनी छोटे उपले) एक टोकरी में रखकर जहां पर होली जलती हो वहां पर ले जाएं। नारियल आदि चढ़ाने के बाद होली की पूजा करके घर आ जाएं। रात को छत पर जाकर जल देकर, जल की घंटी से सात बार अर्घ्य दें। रोली, चावल चढ़ा दें। होली व मंगल गीत गाएं। सासू जी के पैर छूकर रुपए देकर आशीर्वाद प्राप्त करें। अपने नौकर, गरीबों को होली के शुभावसर पर दान देकर पुण्य, लाभ उठाएं।

होली दहन का शुभ मुहूर्त : दिनांक 20 मार्च, बुधवार को भद्रा दिन में 10/48 से रात 8/58 तक रहेगी। भद्रा में होलिका दहन निषेध होता है। अत: होलिका दहन रात 9 बजे करना शुभ रहेगा तथा 21 मार्च बृहस्पतिवार को धूलैंडी मनाई जाएगी। होली दहन के आरंभ से लेकर अंत तक ध्वनि, ढोल या शहनाई का बजते रहना शुभ माना गया है। ढोल-नगाड़ों के साथ होलिका दहन करना चाहिए। 

होलिका दहन : ये है शुभ मुहुर्त और पूजा विधि, जो बना देगी मालामाल 


 

Niyati Bhandari

Advertising