यहां रंगों की नहीं बल्कि इस अनोखी चीज़ से खेली जाती है होली

Saturday, Feb 23, 2019 - 12:27 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
अगर महीने यानि मार्च के महीने में होली का त्यौहार मनाया जाएगा। इस त्यौहार को रंगों का पर्व कहा जाता है। देश के अलग-अलग कोने में इस त्यौहार को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। लोग अपने रिश्तदारों, सगे-संबंधियों के साथ मिलकर गुलाल से खेलते हैं। इस दिन हर कोई गुलाल से रंगा होता है। लेकिन क्या आपको पता है कुछ ऐसे शहर हैं, जो इस दिन गुलाल से नहीं बल्कि किसी और से चीज़ होली मनाते हैं। जी हां, भारत में ऐसे कई शहर है, जहां रंगों की नहीं बल्कि कुछ अलग ही तरह से होली का पर्व मनाया जाता है।

तो आइए जानते हैं इन जगहों के बारे में, जहां अद्भुत ढंग से मनाई जाती है होली-
कुछ प्राचीन मान्यताओं के अनुसार उत्तर प्रदेश के वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर शिव भक्तों द्वारा अनोखे ढंग से होली खेली जाती है। महादेव की इस पावन नगरी में गुलाल नहीं बल्कि भस्म से होली खेली जाती है। बता दें कि वो भस्म भी कोई ऐसा वैसा नहीं होता। ये भस्म महाश्मशान में जलने वाले मुर्दों की होता है। मान्यता है इस घाट पर इसी के साथ होली खेली जाती है। 

आज ही ले आएं घर में ये चीज़ें, बांके-बिहारी संवार देंगे आपकी किस्मत (VIDEO)
आपकी जानकारी के लिए बता दें मर्णिकर्णिका घाट एकमात्र ऐसा घाट है, जहां कभी चिता की आग शांत नहीं होती। मान्यताओं के मुताबिक रंगभरी एकादशी के अगले दिन यहां यानि बनारस में बाबा के भक्त बनारस होली खेलते हैं। इस दिन ये श्मशान ढोल-नगाड़ों और हर हर महादेव के नाम से गुंजायमान हो जाता है।

यहां के लोगों का कहना है कि इस दिन स्वयं महादेव किसी न किसी रूप में मौजूद रहते हैं। तो वहीं कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ अपने प्रिय भूत-पिशाच, दृश्य-अदृश्य आत्माएं के साथ माता पार्वती की विदाई कराकर काशी पधारते हैं। इससे अगले दिन यानि रंगभरी एकादशी के अगले दिन महादेव अपने भक्तों के साथ महाश्मशान पर होली खेलते पहुंचते हैं। कहते हैं यही कारण है जो यहां चिता की भस्म से होली खेली जाती है।

अज़ब मंदिर-गज़ब कहानी, खौलते हुए तेल में कूदकर देते थे जान! (VIDEO)

Jyoti

Advertising