उज्जैन की होली होती है Special, क्या आप जानते हैं इसकी खासियत?

Tuesday, Mar 10, 2020 - 11:43 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष के जैसे ही इस साल भी उज्जैन के बाबा महाकाल अपने भक्तों के साथ होली का त्यौहार खेलेंगे। बता दें यहां न केवल होली बल्कि हिंदू धर्म का कोई भी त्यौहार हो, सबसे बाबा महाकाल के आंगन में ही मनाया जाता है। मंदिर के पुजारियो द्वारा बताया जाता है कि महाकार मंदिर के प्रंगाण में पहले दिन होलिका दहन की पंरपरा को मनाया जाता है तो उसके बाद शयन आरती और सुबह भस्म आरती के बाद भक्त बाबा पर और एक दूसरे पर रंग-गुलाल डालते हैं। इस साल भी यानि आज 10 मार्च को भी इसी परंपरा को निभाया जा रहा है। 

बता दें बीते दिन यानि 9 मार्च की शाम महाकाल मंदिर में होली की शुरुआत हुई। नैवेद्य कक्ष में चंद्रमौलेश्वर को गुलाल लगाया गया। शाम 6.30 बजे सांध्य आरती के पहले भगवान महाकाल को गुलाल चढ़ाया गया। आरती के बाद पुजारी और भक्त ने प्रांगण में होलिका दहन किया। बताया जा रहा है शहर में सबसे पहले महाकाल मंदिर की होली जली। यहां रात 8 बजे होलिका दहन हुआ। जिसके बाद से शहर में होली जलाने की शुरुआत हुई। कहा जाता है महाकाल उज्जैन के मंदिर में कोई आज से नहीं बल्कि ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है। होली के अवसर पर मंदिर में अलग ही दृश्य देखने को मिलता है। जिसे देखने के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतारे दिखाई देती हैं।

बताते चलें मंदिर में होली पर विशेष सजावट का आयोजन किया जाता है। यहां विशेष प्रकार के फूलों से रंग तैयार किया जाता है। जिससे भगवान भोलेनाथ और उनके भक्त होली खेलते हैं। मंदिर में भस्म आरती का प्रातः 4 बजे होने वाली भस्म आरती में होली के दिन अनूठा दृश्य देखने को मिलता है। जिस दौरान बाबा महाकाल को रंग-गुलाल अर्पण किया जाता है। इसके बाद नंदी हॉल, पीछे बने बैरिकेड्स में बैठे भक्तों पर पिचकारियों से रंग गुलाल उड़ाया जाता है। बाबा महाकाल पर लगाया जाने वाला रंग टेसू के फूलों से तैयार किया जाता है। जिनमें किसी तरह का कोई कैमिकल नहीं मिलाया जाता।

महाकाल की नगरी उज्जैन के कार्तिक चौक में सबसे बड़ी होली जलाई जाती है, जो काफी समय तक जलाई जाती है। चौक पर लगभग 5 हज़ार कंडों की होली का दहन किया जाता है। इस होलिका में लकड़ी का प्रयोग नहीं किया जाता है। यहां के होली की ये विशेषता है कि इसमें हरि भक्त प्रहलाद स्वरूप एक झंडा गाड़ा जाता है, जो होलिका दहन के बाद भी सुरक्षित रहता है। जिसके टुकड़ों को लोग अपने घरों में सालभर संभालकर रखते हैं।

Jyoti

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