Holi 2020: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कुछ इस अंदाज से मनाई जाती है होली
Monday, Mar 09, 2020 - 12:08 PM (IST)
भारत में मनाए जाने वाले त्यौहारों एवं उत्सवों को सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर मनाते हैं। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग ढंग से होली मनाई जाती है। ब्रज में होली के मुख्यत: दो रूप मिलते हैं। एक और जहां, यहां होली पर लठों की बरसात होती है तो दूसरी और फूलों की। जिस होली में लठों से मार पड़ती है उसे लठमार होली कहते हैं। जिसमें लोग राधा-कृष्ण बनकर नृत्य करते हुए, लोकगीतों को गाते हुए फूलों से होली खेलते हैं वह फूलों की होली कहलाती है। बरसाने की लठमार होली जगत प्रसिद्ध है। इसमें नंदगांव के पुरुष बरसाना (राधा रानी का गांव) के राधारानी यानी लाडली जी के मंदिर में ध्वजा फहराने का प्रयास करते हैं, जिन्हें लठमार कर बरसाना की महिलाएं दूर रखती हैं। पुरुष इसका प्रतिरोध नहीं कर सकते। वे केवल गुलाल डाल सकते हैं लेकिन अगर कोई पुरुष महिलाओं की पकड़ में आ जाता है, तो उसकी कुटाई होती ही है।
होली का पर्व पूरे देश में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है परन्तु ब्रज की होली विश्व प्रसिद्ध है, बरसाने की लठमार होली सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र होती है। नंदगांव, जहां भगवान श्रीकृष्ण का लालन-पालन हुआ, से ग्वाल बाल तथा पुरुष राधा रानी के गांव बरसाने जाते हैं। उसके पश्चात नंदगांव के पुरुष होली खेलते बरसाना जाते हैं। इस होली को देखने देश-विदेश से लोग बरसाना आते हैं।
वृंदावन सहित देश के कई हिस्सों में कृष्ण मंदिरों में होली के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन होते हैं, जिसमें कलाकार राधा-कृष्ण का रूप धारण कर नृत्य करते हैं और फगुआ के गीत गाते हैं। इसमें नृत्य के साथ-साथ एक-दूसरे पर फूलों की बरसात भी की जाती है।
इस प्रकार फूलों की होली खेली जाती है। अबीर-गुलाल को प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है, जिससे वातावरण भी मनमोहक हो जाता है।
हरियाणा सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होली देवर-भाभी के प्रेम का त्यौहार भी है। इस दिन भाभियां अपने देवर को दुपट्टे से बनाए गए कौड़े से पीटती हैं। देवर भाभियों को रंग लगाने के साथ-साथ उन पर पानी भी डालते हैं। इस क्षेत्र में रंगवाली होली को फाग के नाम से भी जाना जाता है।