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Tuesday, Mar 23, 2021 - 09:17 AM (IST)

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नई दिल्ली, 22 मार्च (डॉ. अश्विनी शर्मा): ‘हमारा भारत संस्कृतियों, कलाओं, कलाकारों तथा गीत-संगीत के विभिन्न रंगों से परिपूर्ण है और संस्कृति मंत्रालय एवं संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से कथक केंद्र की यही कोशिश रही है कि ‘स्वाधीनता के रंग, फाल्गुन के संग’ मेें न केवल केंद्र के अधिकतम छात्र-छात्राओं को इसमें भागीदार बनाया जाए बल्कि 16 वर्ष से लेकर 75 वर्ष तक के कलाकारों को देश भर से लाकर दर्शकों-श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया जाए और इस दिशा में हमारी ये पहल कामयाब रही है क्योंकि इस उत्सव में एक हज़ार से अधिक कलाकारों को मंच प्रदान किया जा रहा है।’ अपने इस तरह के कई विचार प्रकट कर रहे थे संगीत नाटक अकादमी के उपसचिव तथा कथक केंद्र के निदेशक सुमन कुमार।

सोमवार सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक चाणक्यपुरी स्थित केंद्र के सभागार तथा बदलियों में घिरे आधे चंद्रमा के नीचे मुक्ताकाश मंच पर प्रस्तुतियों की भरमार रही जिसमें कथक नृत्य के विभिन्न स्वरूपों को जहां पद्मविभूषण कथक सम्राट पं बिरजू महाराज के सुपुत्र दीपक महाराज तथा उनकी सुपौत्री रागिनी महाराज एवं सुपौत्र त्रिभुवन महाराज, अकादमी पुरस्कार प्राप्त जयपुर घराने की वरिष्ठ गुरु गीतांजलि लाल, बनारस से आए हुए रविशंकर मिश्रा, माताप्रसाद मिश्रा, लच्छू महाराज की वरिष्ठ शिष्या कुमकुम धर, गुरु पं राजेन्द्र गंगानी के शिष्य प्रवीन परिहार इत्यादि की सजीव संगीत पर कथक की पारंपरिक शैली तथा होली रचनाओं पर आधारित प्रस्तुतियां अपने विशेष रंग बिखेर रही थीं वहीं संध्याकालीन सभा मेें गुरु अशोक चक्रबर्ती के शिष्य-शिष्याओं का ‘उड़त गुलाल’ तथा गुरु राजेन्द्र गंगानी की नृत्य संरचना ‘होली एक-रंग अनेक’ को समस्त सुधिजनों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। 

कार्यक्रम का संचालन भारती डंग एवं शशिप्रभा तिवारी तथा समन्वयन प्रतिभा सिंह, लक्ष्मण सिंह, योगेश गंगानी, समीह उल्लाह खान, अतुल शंकर, यशिका, अश्मिता आइच, साक्षी शर्मा, प्रिया दास इत्यादि द्वारा हुआ। मंगलवार के कार्यक्रमों में गुरु नलिनी-कमलिनी, गुरु शिखा खरे, डॉ. रेखा मेहरा की प्रस्तुतियां मुख्य आकर्षण रहेंगी।

Niyati Bhandari

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