क्या देश के हर क्षेत्र में मान्य है होलाष्टक, जानिए इससे जुड़ी जानकारी

Thursday, Mar 25, 2021 - 03:53 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म से जुड़ी धार्मिक किंवदंतियों के अनसार होली के ठीक आठ दिन पहले तमाम तरह के शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ-हवन, सगाई, मुंडन-संस्कार और  अन्य कई प्रकार के शुभ काम वर्जित माने जाते हैं। इन आठ दिनों को होलाष्टक के नाम से जाना जाता है। मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि होलाष्टक देश के कुछ क्षेेत्र ही माना जाता है। तो आइए जानते हैं कहां होलाष्टक मनाया जाता है और कहां नहीं। 

बताया जाता है कि विपाशा (व्यास), इरावती (रावी), शुतुद्री (सतलज) नदियों के निकटवर्ती दोनों ओर स्थित नगर, ग्राम, क्षेत्र में तथा त्रिपुष्कर (पुष्कर) क्षेत्र में होलाष्टक दोष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (होलिका दहन) तिथि से 8 दिन पूर्व में विवाह, यज्ञोपवीत आदि शुभ कार्य वर्जित हैं।

इस प्रकार लगभग संपूर्ण पंजाब प्रांत में हिमांचल प्रदेश का कुछ भू-भाग तथा राजस्थान में अजमेर (पुष्कर) के समीपवर्ती आसपास के स्थानों (संपूर्ण राजस्थान नहीं) में ही विशेष सावधानी के लिए होलाष्टक दोष को मानना शास्त्र सम्मत है। तो वहीं देश के अन्य शेष भू-भागों में होलाष्टक दोष विचार का नियम लागू करना अच्छा नहीं माना गया, इसलिए यहां इसे लागू नहीं करना चाहिए। माना जाता है ऐसा शास्त्र सम्मत निर्णय है।

यहां जानें इससे जुड़ा शास्त्र श्लोक- 
'विपाशैरावतीतीरे शुतुद्रयाश्च त्रिपुष्करे। विवाहादिशुभे नेष्टं होलिकाप्राग्दिनाष्टकम्।।'
मुहूर्त चूड़ामणि के श्लोक नंबर 40 में भी उल्लेख है।‘‘ऐरावत्यां विपाशायां शतद्रौ पुष्करत्रये।
होलिका प्राग्दिनान्यष्टौ विवाहादौ शुभे त्यजेत्।।’’ (मुहूर्त गणपति श्लोक सं. 204)

होलाष्टक के दौरान क्या नहीं करना चाहिए-
कहा जाता है होलाष्टक के आठ दिनों के दौरान नए घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए, न ही किसी प्रकार का मांगलिक कार्य करना शुभ माना जाता है। 

इन दिनों में भूमि पूजन करने से भी परहेज करना चाहिए, इससे जीवन में शुभ नहीं अशुभ प्रभाव पड़ जाता है। 

विवाहितों को इन दिनों में मायके रहना चाहिए, ऐसा ज्योतिष मत माना जाता है। 

इसके अलावा हिंंदू धर्म के प्रमुख 16 संस्कारों में से कोई भी संस्कार संपन्न नहीं करना चाहिए। हां, अगर किसी की इन दिनों में मौत हो जाए तो उसके लिए शांति पूजन करवा सकते हैं।

Jyoti

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