Hola Mohalla Celebration at Paonta Sahib: पांवटा साहिब में होला मोहल्ला के रंग

Thursday, Mar 17, 2022 - 09:31 AM (IST)

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Hola Mohalla Celebration at Paonta Sahib: श्री आनंदपुर साहिब की भांति पांवटा साहिब में भी होला मोहल्ला की रौनक देखने योग्य होती है। वर्ष भर लाखों की संख्या में संगत पाऊंटा साहिब पहुंचती है, परंतु होला मोहल्ला का उल्लास अपने आप में खास होता है। सरवंशदानी पिता, नीले के शहसवार, संत-सिपाही श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने नए नरोए समाज की सृजना करने के लिए एक नूतन विचारधारा दी। मानव समाज के दोनों अंगों-स्त्री और पुरुष के लिए गृहस्थी होने, परोपकारी होने और हर समय गरीबों एवं मजलूमों की रक्षा के लिए अपना आप अपूर्ति करने के लिए अपने पैरोकारों को पाबंद किया। 


ऐसे कर्तव्यों की पूर्ति के लिए मानव का आरोग्य और बलवान होना भी बहुत जरूरी है।

कलगीधर पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी श्री आनंदपुर साहिब और श्री पाऊंटा साहिब के निवास के समय होला-मोहल्ला के अवसर पर अपने सिंहों के लिए कृत्रिम मुकाबले का आयोजन करते, ताकि खालसा फौज रणक्षेत्र में अपनाए जाने वाले असली दांव-पेंचों, चालों और गतिविधियों को ध्यान में रख कर युद्धाभ्यास करे।

खालसा पंथ की सृजना के संकल्प को मन में लेकर समय की चुनौती के अनुसार साहित्य सृजित करना और कलात्मक रुचियों की पूर्ति के लिए कलगीधर पातशाह ने युवावस्था के लगभग साढ़े 4 वर्ष नाहन रियासत में यमुना नदी के किनारे स्थित पाऊंटा साहिब की पवित्र धरती पर अपने लाडले 52 कवियों की साहित्य रुचियों को लेकर कवि दरबार सजाए। 


यमुना नदी के कलकल करते बहते पानी के साथ मौज-मस्तियां करते प्रकृति की सुहानी गोद में बैठ गुरु साहिब ने अनेक बाणियों का उच्चारण किया। यहां पीर बुद्धू शाह साढौरा से अपने पुत्रों और मुरीदों सहित कलगीधर पातशाह के दर्शन हेतु पहुंचे थे।

चंडीगढ़ से 120 किलोमीटर दूर हिमाचल में बसा शहर नाहन कई शहरों से सीधे मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

सिख संगत के लिए होला मोहल्ला का जोड़ मेला आत्मिक आनंद वाले अनुभव छोड़ जाता है।

Niyati Bhandari

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