लाहौर के श्रीकृष्ण और वाल्मीकि मंदिर के दर्शन किए बिना अपनी यात्रा अधूरी समझें !

Friday, Apr 19, 2024 - 08:39 AM (IST)

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Hindu temple in pakistan: ऐसी मान्यता है कि श्रीराम के सुपुत्र लव ने लाहौर की बुनियाद रखी थी। भारत विभाजन से पूर्व लाहौर में अनेक मंदिरों की मौजूदगी के प्रमाण मिलते हैं, लेकिन विभाजन का परिणाम यह निकला कि पूर्वी और पश्चिमी पंजाब में कई धार्मिक स्थलों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया।

कुछ वर्ष पूर्व तक लाहौर में केवल श्रीकृष्ण मंदिर में ही भारतीय श्रद्धालुओं को जत्थों के साथ आने पर प्रवेश की अनुमति होती थी। यह मंदिर टिम्बर मार्कीट के सामने रावी रोड पर स्थित है। इस मंदिर का प्रबंध और रख-रखाव वक्फ बोर्ड द्वारा किया जाता है। बोर्ड ने 2005 में इसके नवीनीकरण के लिए 12 लाख रुपए की राशि आबंटित की थी। 2006 में बाबरी मस्जिद विवाद के चलते यह मंदिर मीडिया में विध्वंस की अफवाहों के कारण दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया। पाकिस्तान अल्पसंख्यक कल्याण परिषद् के महासचिव ओम प्रकाश नारायण ने विवादित स्थल पर निर्माण रोकने के लिए लाहौर उच्च न्यायालय में 16 जून, 2006 को याचिका दायर कर दी लेकिन 15 दिन बाद स्थिति स्पष्ट हुई तो यह कहते हुए कि मंदिर तो बरकरार है, उन्होंने याचिका वापस ले ली। जिस शॉपिंग मॉल या प्लाजा का निर्माण विवाद की जड़ था, वह मंदिर स्थल से काफी दूरी पर बन रहा है।

इस बार महाशिवरात्रि के अवसर पर जो भारतीय जत्था पाकिस्तान गया, उसमें शामिल राजीव नागपाल का कहना है कि श्री कृष्ण मंदिर के दर्शन करने में पहले से ज्यादा उदार रवैया सरकार ने दिखाया लेकिन इस मंदिर के प्रभारी और पाकिस्तान हिंदू काऊंसिल के अध्यक्ष डाक्टर मनोहर चांद की कमी अखर रही थी। डा. चांद का पिछले वर्ष मार्च महीने में निधन हो गया था। वक्फ बोर्ड के अधिकारियों व मंदिर के पुजारी कांशीराम के परिवार ने श्रद्धालुओं के स्वागत में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी। भजन-कीर्तन का आनंद भी सभी श्रद्धालुओं ने उठाया, रख-रखाव में भी कोई कमी नजर नहीं आई।

एक अन्य यात्री संजय गर्ग के कथनानुसार भारतीय यात्रियों के लिए प्रसन्नता का विषय यह भी था कि लव-कुश की समाधि पर जाने और भजन-कीर्तन करने की छूट मिली। सोने पर सुहागे वाली बात यह है कि श्री कृष्ण मंदिर के अलावा अब लाहौर के अनारकली बाजार में स्थित 1200 वर्ष पुराना वाल्मीकि मंदिर भी पूरी तरह आध्यात्मिक व धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है। इस मंदिर में काली माता, माता शेरांवाली, शिव-पार्वती, लक्ष्मीनारायण, मां सरस्वती व श्रीराम के चित्र भी मौजूद हैं।

पाकिस्तान की एक पत्रकार सना अमजद ने इस मंदिर के पुजारी पंडित भजन लाल से इंटरव्यू में मंदिर के सदियों पुराने इतिहास और मान्यता पर विस्तारपूर्वक चर्चा के दौरान यह स्पष्ट करने का प्रयास किया कि 4 अगस्त, 2022 को जब इस मंदिर का दायित्व वक्फ बोर्ड के पास वापस आया तो अल्पसंख्यकों की खुशी का ठिकाना ही नहीं था।

एक ईसाई परिवार ने इस मंदिर परिसर पर अपना स्वामित्व जताते हुए 2010 से कानूनी लड़ाई शुरू कर रखी थी, जिस कारण यहां पूजा-पाठ करने या दर्शन के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं थी।

वक्फ बोर्ड के प्रवक्ता आमिर हाशमी का कहना था कि अदालत ने ईसाई परिवार की न सिर्फ याचिका खारिज कर दी बल्कि झूठा दावा करने के लिए फटकार भी लगाई।

4 अगस्त, 2022 को जब भगवान वाल्मीकि मंदिर पुन: वक्फ बोर्ड ने संभाला तो आयोजित शानदार कार्यक्रम में 100  हिंदुओं के अलावा सिख, ईसाई व मुस्लिम नेता भी मौजूद थे। बोर्ड ने विश्वास दिलाया है कि एक क्रमबद्ध योजना के तहत इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार किया जाएगा।

पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरह अब पाकिस्तान हिंदू मंदिर कमेटी का भी कानूनी तौर पर गठन कर दिया गया है। इसके अध्यक्ष कृष्ण शर्मा को विश्वास है कि भले ही लाहौर में दो बड़े हिंदू मंदिरों में ही रौनक दिखाई देती है लेकिन सरकार के सहयोग से इनका विकास होने पर अन्य देशों से आने वाले यात्री भी इनके दर्शन किए बिना अपनी यात्रा अधूरी समझेंगे।  

Niyati Bhandari

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