ये हैं पाकिस्तान के प्राचीन हिंदू मंदिर!
punjabkesari.in Saturday, Aug 07, 2021 - 03:22 PM (IST)

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आप में से बहुत से लोग जानते होंगे कि लगातार पाकिस्तान में हिंदुओं की आस्था को आहत करने के लिए हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया जा रहा है। हाल ही में आई खबरों के अनुसार बीतें दिनों में वहां पर एक गणेश मंदिर को तोड़ दिया गया है। लगातार मंदिरों को ध्वस्त करने का ये घृणित काम दिन भर दिन बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में वहां पर स्थित मंदिर की गिनती कम होती जा रही है। खबरों के अनुसार पाकिस्तान में 428 हिंदू मंदिरों में से 408 में पूजा अर्चनाा बंद है। तो वहीं बताया जाता है कि पाकिस्तान में अब कुल ऐतिहासिक मंदिरों की गिनती केवल 14 ही रह गई है। हालांकि इस संदर्भ में कोई सटीक जानकारी अभी तक प्राप्त नही हैं। आइए जानते हैं पाकिस्तान में स्थित कुछ ऐतिहासिक मंदिरों के बारे में-
हिंगलाज का शक्तिपीठ: ये मंदिर सिन्ध की राजधानी कराची जिले के बाड़ीकलां में सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। बताया जाता है यहां का मंदिर प्रधान 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसके अलावा कहा जाता है कि हिंगलाज ही वही स्थल है, जहां माता का सिर गिरा था। इस मंदिर में माता सती कोटटरी रूप में जबकि भगवान शंकर भीमलोचन भैरव रूप में विराजमान हैं।
कटासराज का शिव मंदिर: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जिला चकवाल शहर से लगभग 30 कि.मी दूर दक्षिण में कोहिस्तान नमक पर्वत श्रृंखला में महाभारतकालीन कटासराज नामक गांव में लगभग 900 साल पुराना शिव मंदिर स्थापित हैं। मान्यताओं के अनुसार जब शिवजी की पत्नी सती का निधन हुआ तो वे इतना रोए कि उनके आंसू रुके ही नहीं और उन्हीं आंसुओं के कारण 2 तालाब बन गए। ऐसा बताया जाता है इनमें से एक राजस्थान में पुष्कर है और दूसरा यहां कटाशा में है।
नृसिंह मंदिर: धार्मिक किंवदंतियों के अनुसार भक्त प्रह्लाद ने भगवान नृसिंह के सम्मान में एक मंदिर बनवाया था। वर्तमान में पाकिस्तान स्थित पंजाब के मुल्तान शहर में है। जिसे प्रह्लादपुरी मंदिर के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहीं नृसिंह भगवान ने एक खंभे से प्रकट होकर अपने परम भक्त प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप को मारा था। तथा यहीं से ही होली का त्योहार एवं होलिकादहन की प्रथा आरंभ हुई थी।
पंचमुखी हनुमान मंदिर: कराची के नागरपारकर के इस्लामकोट में पाकिस्तान का इकलौता ऐतिहासिक राम मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग इस 1500 साल पुराना है।
श्री वरुणदेव मंदिर : बताया जाता है ये मंदिर करीबन 1,000 साल पुराना है। 2007 में पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल ने इस बंद पड़े और क्षतिग्रस्त मंदिर को फिर से तैयार करने का फैसला किया था जिसके बाद जून 2007 में इसका नियंत्रण पीएचसी को मिल गया, परंतु वर्तमान समय में इस मंदिर की देखरेख नहीं है।