यहां जानें, कुबेर देव का जन्म कैसे हुआ

Sunday, May 05, 2019 - 02:41 PM (IST)

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ये बात तो सब जानतें ही हैं कि पुराणों में धन के देवता कुबेर माने जाते हैं। कहते हैं कि अगर इनकी कृपा हो जाए तो व्यक्ति रातो रात मालामाल हो जाता है। माना जाता है कि अपने पूर्व जन्म में कुबेर गुणनिधि नामक वेदज्ञ ब्राह्मण थे और इन्हें शास्त्रों का पूरा ज्ञान था। इनके मन में निर्जीव प्राणियों के प्रति बहुत ही दया की भावना थी। ये बहुत ही धर्मिक प्रवृति के थे। तो चलिए आज जानतें हैं कि कैसे गुणनिधि बने धन के देवता कुबेर। 

शास्त्रों में इनके बारे में वर्णन मिलता है कि ये बहुत ही धर्मिक हुआ करते थे और धर्म-कर्म में विश्वास रखते थे। लेकिन बुरी संगति में पड़ने के कारण उनके सारे अच्छे गुण समाप्त हो गए और जब ये बात उनकी माता को हुई तो उन्होंने पुत्र मोह के कारण इसके बारे में अपने पति से नहीं कहा, जिसकी वजह से गुणनिधि ने अपने घर की सारी संपत्ति को नष्ट कर दिया। 

एक दिन किसी तरह से जब इस बात का पता गुणनिधि के पिता को चला तो वह अपने पुत्र से क्रोधित होकर वन को चले गए और उधर अपने पिता के डर से गुणनिधि भी जंगल में छिप गए। गुणनिधि वन में भागते-भागते एक शिव मंदिर के पास पहुंचे। कहते हैं कि वो रात शिवरात्रि की रात थी और गुणनिधि भूख-प्यास से विचलित होकर और मंदिर में प्रसाद को देखकर उसकी भूख और जाग उठी। वह वहीं मंदिर के पास छुपकर बैठ गया और उसने सोचा कि जब शिव भक्त वहां सो जाएंगे तो वह प्रसाद चुराकर लेगा और जैसे ही उसने देखा कि सब लोग जा चुके हैं तो वह फल चुराकर भागने लगा था तभी उसके पैर को एक पुजारी ने पकड़ लिया और तभी उसने गुणनिधि पर बाण चलाया जिससे कि गुणनिधि के प्राण निकल गए। 

जब यमदूत गुणनिधि को ले जाने लगे तब भगवान शिव की आज्ञा पाकर यमदूत के गणों ने गुणनिधि को यमराज से छीन लिया और शिवलोक ले गए। गुणनिधि के पूछने पर भगवान ने कहा कि मैं तुम्हारी अनचाही भक्ति से प्रसन्न हुआ इसलिए तुम्हारे सारे कुकर्म माफ हुए हैं जिसके कारण तुम्हें शिवलोक की प्राप्ति हुई है। कहते हैं कि इसके बाद से ही गुणनिधि कुबेर के नाम से प्रसिद्ध हुए।
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