यहां भगवान विष्णु ने मनुष्य अवतार ले नाखूनों से बनाई थी झील

Wednesday, Nov 22, 2017 - 12:08 PM (IST)

भगवान विष्णु ने हर युग में किसी न किसी रूप में अवतार लिया और दुनिया को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और असुरों का नाश किया। फिर चाहे वो श्री राम का रूप हो या कृष्ण का। लेकिन हम में से शायद ही किसी को पता होगा कि भगवान विष्णु ने एक जगह मनुष्य रूप में भी जन्म लिया था। जहां उन्होंने लोगो को अपनी अनुभूति का एहसास करवाया था। यहां उन्होंने अपने एक  मैदान को अपने नाखूनों की मदद से झील बना डाली थी। मान्यता अनुसार इस अवतारी पुरुष को भगवान विष्णु का अंश माना जाता है। यहा एक मंदिर है जो कलाकृति और शिल्प का बेजोड़ नमूना हैं। इसे देखने के लिए लाखों लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं।

 

कहां है ये अद्भुत मंदिर
माउंट आबू में बना ये मंदिर दिलवाड़ा के जैन मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां कुल पांच मंदिरों का समूह जरुर है लेकिन यहां खास मंदिरों की सूची में सिर्फ तीन मंदिर ही हैं। आपको बता दें दिलवाड़ा का ये मंदिर 48 खंभों पर टिका हुआ है। इसकी खूबसूरती और नक्काशी के कारण इसे राजस्थान का ताज महल भी कहा जाता है। इस मंदिर की एक-एक दीवार पर बेहद सुंदर कलाकारी और नक्काशी की गई है, जो अपना इतिहास बताती हैं। इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां और कई मान्यताएं हैं, जो अपने आप में अद्भुत और अनोखी है।

 

इस मंदिर के बारे में विस्तार में कथा कुछ इस तरह है
भगवान विष्णु ने यहां बालम रसिया के रूप में अवतार लिया। मान्यता अनुसार विष्णु जी का ये अवतार गुजरात के पाटन में एक साधारण परिवार के घर में हुआ। इनके जन्म के बाद ही पाटन के महाराजा वस्तुपाल और उनके मंत्री तेजपाल  के मन में माउंट आबू में इस मंदिर के निमार्ण की इच्छा जागी। जब भगवान विष्णु के अवतार बालम रसिया ने महाराज की यह बात सुनी तो वो वस्तुपाल और तेजपाल के पास इस मंदिर की रुपरेखा को लेकर पहुंच गए। तब राजा ने कहा कि अगर ऐसा ही मंदिर तैयार हो गया तो वो अपनी पुत्री की शादी बालम रसिया से कर देंगे। भगवान विष्णु के अवतार बालम रसिया ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और बेहद सुंदर मंदिर का निर्माण किया।

 

बालम रसिया ने यहां नाखून से बना दी थी झील
पौराणिक कथा के अनुसार, बालम रसिया की होने वाली दादीसास ने छल कर और शादी करने के लिए एक और शर्त रख दी। उन्होंने शर्त रखी कि अगर वह एक रात में सूरज निकलने से पहले अपने नाखूनों से खुदाई कर मैदान को झील में तब्दील कर दें। तब वो अपनी पोती का हाथ बालम रसिया के हाथों में सौंप देंगी। यह सुन-कर उन्होंने एक घंटे में ही ऐसा करके दिखा दिया। फिर भी बालम रसिया की होने वाली दादीसास ने अपनी पोती का विवाह उनसे नहीं किया। इस बात को लेकर भगवान विष्णु कोध्रित हो उठे और उन्होंने अपनी होने वाली दादीसास का वध कर दिया।

 

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