यहां लड्डू से नहीं बल्कि रक्त चढ़ाकर किया जाता है गणपति को खुश

Thursday, Sep 05, 2019 - 04:40 PM (IST)

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जैसे कि सब जानते हैं कि गणेश चतुर्थी के बाद हर जगह लोग बप्पा के आगमन की खुशी में नाचते-झमूते हैं। हर किसी की यही कामाना होती है कि वो किसी न किसी तरीके से गणपति को खुश कर ले। लेकिन क्या आप जानते हैं एक ऐसा गणेश मंदिर भी है जहां बप्पा को खुश करने के लिए खून से उनका अभिषेक किया जाता है। हम जानते हैं ये जानकर आपको हैरानी ज़रूर हो रही होगी लेकिन ये सच है। हम जानते हैं आपको इस बात पर विश्वास नहीं होगा तो तैयार हो जाईए क्योंकि हम आपके लिए लाएं इस मंदिर से जुड़ी सारी जानकारी लेकर आएं हैं।

गणेश उत्सव  के भगवान गणेश जी के अनेक रूपों की अलग-अलग स्थानों पर वहां की परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी एक प्राचीन कथानुसार भारत में एक स्थान ऐसा भी है जहां सदियों पहले भगवान गणेश जी के भक्त उनका अभिषेक अपने रक्त यानि (खून) से करते थे और गणपति प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाएं तुरंत पूरी भी करते थे।

यहां जानें इस जगह के बारे में-
पुराणों में कलियुग के बारे उल्लेख आता है कि कलियुग काल में दो ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों की थोड़ी सी पूजा अर्चना से भी प्रसन्न हो जाते हैं। एक है प्रथम पूजनीय श्रीगणेश दूसरे है महाबली श्री हनुमान। कहते हैं इन दोनों की पूजा में अगर किसी जातक अंजाने में गलतियां हो भी जाएं तो वो कभी अपने भक्तों से नाराज़ नहीं होते।


बल्कि भगवान श्रीगणेश के बारे में तो कहा जाता है कि गणेश जी ऐसे देवता है जिनकी पूजा हहर तरह की पूजा स पहले की जाती है फिर वो चाहे सात्विक, तामसिक, मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण या फिर मोक्ष की साधना हो। मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश की प्रथम पूजा करने से किए जाने वाले कार्यों में सफलता मिलकर ही रहती है।

यहां होता है गणेश का रक्त खून से अभिषेक
प्राचीन गणेश पुराण के अनुसार सदियों पहले भारत की आर्येतर जातियों में भगवान श्री गणेश की स्थाई ग्राम देवता के रूप में पूजा आराधना की जाती एवं गणेश भक्त अपने रक्त (खून) से अपने देवता का अभिषेक करते थे। आर्येतर जाति के लोग अपनी इच्छित मनोकामना पूरी होने की कामना के से एवं कामना पूरी होने पर दोबार अपने रक्त से गणेश जी का अभिषेक करते थे। बाद में जब आर्येतर जाति आर्य देवमंडल में सम्मिलित हो गई तो उसके बाद रक्त (खून) की जगह प्रतिक रूप में सिन्दूर से अभिषेक किया जाने लगा और तभी से गणपति को सिंदूर चढ़ाने की परम्परा प्रारंभ हो गई। कहते हैं आज भी जब भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने के भाव से गणेश जी का सिंदूर से अभिषेक करते हैं तो उनकी सभी कामनाएं गणेश जी पूरी कर देते हैं।

Jyoti

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