बर्फीले पहाड़ों के बीचों-बीच बसा है ये अद्भुत लक्ष्मण मंदिर

Saturday, Jun 08, 2019 - 01:43 PM (IST)

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उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित सिक्खों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब के बारे मे तो सभी जानते ही होंगे। इस साल इसकी पवित्र यात्रा 1 जून को शुरू हुई है। बता दें कि हेमकुंड साहिब की यात्रा की शुरुआत गोविंदघाट से होती है जो अखलनंदा नदी के किनारे समुद्र तल से 1 हज़ार 828 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गोविंदघाट से घांघरिया तक 13 किलोमीटर की चढ़ाई है जो एकदम खड़ी चढ़ाई है। इसके आगे का 6 किलोमीटर का सफ़र और भी ज्यादा मुश्किलों से भरा है। उत्तराखंड के इस पावन स्थल के बारे में तो सभी जानते ही हैं, लेकिन क्या आपको इस पावन स्थल के पास हिंदू धर्म का भी एक प्रमुख मंदिर भी है, जिसका नाम लक्ष्मण लोकपाल मंदिर के नाम से जाना जाता है।  जी हां, आप सही सोच रहा है लक्ष्मण श्री राम के भ्राता। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लक्ष्मण ने अपने भाई श्री राम के साथ 14 साल का वनवास काटा था। मगर अब सवाल ये है आख़िर लक्ष्मण जी को समर्पित ये मंदिर की स्थापना का क्या राज़ है तो चलिए जानते हैं इस मंदिर के बार में-

हेमकुंड साहिब की बर्फिली वादियों में बसा लक्ष्मण मंदिर को लक्ष्मण लोकपाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। अगर पौराणिक मान्यता की मानें तो कहा जाता है कि प्राचीन समय में इस स्थान पर जहां आज मंदिर स्थापित हैं वहां शेषनाग ने तपस्या की थी। जिसके बाद उन्हें द्वापर युग में राजा दशरथ के यहां लक्ष्मण के रूप में जन्म मिला था। 

यहां की लोक मान्यता के अनुसार लक्ष्मण मंदिर में भ्यूंडार गांव के ग्रामीण पूजा करते हैं। यह मंदिर हेमकुंड साहिब के ही परिसर में मौज़ूद है। हेमकुंड आने वाले तीर्थयात्री लक्ष्मण मंदिर में मत्था टेकना नहीं भूलते। लक्ष्मण मंदिर हेमकुंड झील के तट पर स्थित है। वहीं एक अन्य मान्यता के मुताबिक, यह मंदिर ठीक उसी जगह है, जहां लक्ष्मण ने रावण के बेटे मेघनाद को मारने के बाद अपनी शक्ति वापस पाने के लिए कठोर तप किया था। कहा जाता है हेमकुंड आने वाले सभी यात्री जितना उत्सुक हेमकुंड दर्शन के लिए रहते हैं उतना ही वह लक्ष्मण मंदिर में जाने के लिए भी बेताब होते हैं। 


 

Jyoti

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