हरतालिका तीज 2020: अगर आप भी रखती हैं ये व्रत तो ज़रूर पढ़ें ये

Saturday, Aug 15, 2020 - 05:28 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
पहले हरियाली तीज, फिर कजरी तीज और आखिर में आती है हरतालिका तीज। इन तीनों का सनातन धर्म में अधिक महत्व है। कहा जाता है इन तीनों पर्वों के दौरान महिलाएं खासरूप से शिव पार्वती की पूजा करती हैं, ताकि उनकी पति की उम्र को किसी की नजर न लगे तो वहीं इस दिन अविवाहित लड़कियां इस कामना से व्रत रखती हैं, ताकि उन्हें अच्छा वर प्राप्त हो। परंतु इस दौरान कुछ बातों का खास ध्यान रखना होता है। क्योंकि कहा जाता है अगर इस दौरान व्यक्ति से किसी प्रकार की फूल हो जाए तो व्रत का लाभ प्राप्त नहीं होता। तो अगर आप जाने-अनजानें में भी इन गलतियों को करने से बचना चाहते हैं बता दें कि व्रत रखने से पहले इस बार आगे दी गई जानकारी ज़रूर पढ़ लें, जिसमें हमने आपको बताया है कि आपको हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली महिलाओें को किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए। 

सबसे पहले बता दें हरतालिका तीज व्रत सुहागिनों औरतों के लिए अधिक फलदायी और उत्तम माना जाता है। ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की अराधना से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस वर्ष हरतालिका तीज का ये व्रत 21 अगस्त को है।  आपकी जानकारी के लिए बता दें हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। 


जो स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं वो अगर किसी कारणवश व्रत छोड़ना चाहती हैं तो ध्यान रहे इसे अपी मर्जी से करना नहीं छोड़ें बल्कि विधिवत उद्यापन के बाद अपना ये व्रत किसी और दे सकती हैं।

ध्यान रहे हरतालिका तीज व्रत में महिलाएं 24 घंटे तक बिना अन्न और जल के रहती हैं। हालांकि कई जगहों पर इनके नियम अलग हैं। वहीं कुछ प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को केवल केवल सुहागि न महिलाएं ही रखती हैं।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन यानि हरतालिका तीज व्रत के दौरान देवों के देव महादेव भगवान शंकर तथा माता पार्वती की पूजा का विधान है। इसके अलावा इस दिन, रात्रि जागरण करना चाहिए। रात में भजन-कीर्तन करना शुभ होता है।

महिलाएं इस बात का खास ख्याल रखें कि इस दौरान माता पार्वती को सुहाग की पिटारी में श्रृंगार का सामान ज़रूर अर्पित करें।
संभव हो तो इस दौरान भगवान शिव को धोती और अंगोछा अर्पित करें। सा ही साथ पूजा आदि संपन्न करने के बाद  पूजा के बाद सुहाग की साम्रगी को मंदिर के पुरोहित या गरीब को दान कर दें। 

आखिर में इसके ठीक अगले दिन शिव-पार्वती की पूजा करके, पहले अन्य लोगो में प्रसाद बांटें, उसके बाद ही स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।

 

Jyoti

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