3 अगस्त को है हरियाली तीज, जानें व्रत की विधि और नियम

Wednesday, Jul 31, 2019 - 10:12 AM (IST)

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यूं तो हिंदू धर्म में सावन का हर दिन पावन है क्योंकि इस पूरे माह भगवान शिव व उनकी अर्धांगिनी देवी पार्वती अपने भक्तों को अपनी कृपा का भागीदर बनाते हैं। मगर इन महीने में कुछ दिन ऐसे भी होते हैं जिनका महत्व भोलेबाबा के इस माह में अधिक होता है। बल्कि इन विशेष दिनों को लेकर मान्यता है कि इस दौरान जातक द्वारा भोलेनाथ से जो भी मांगा जाता है उसे वो ज़रूर मिलता है।  क्योंकि कहते हैं भगवान शिव का आशीर्वाद जिसे मिल जाता है उसके लिए असंभव चीज़ को पाना भी संभव हो जाता है और कठिन से कठिन काम आसान नज़र आने लगता है। इसके अलावा विवाह में आ रही अड़चनें दूर जाती हैं। बता दें उन दिनों में से एक हरियाली तीज का दिन। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं हरियाली तीज से जुड़ी कुछ खास जानकारी। साथ ही बताएंगे कुछ ऐसे तथ्य जो शायद आपने कभी न सुने हों।

जैसा कि सभी जानते हैं कि महादेव का महीना शुरू होते ही अलग-अलग त्‍यौहारों की झड़ी लग जाती है। एक ओर जहां सावन में शिव जी की कृपा पाने के लिए लोग व्रत और पूजा करते हैं वहीं, सुहागिनों का प्रिय त्यौहार हरियाली तीज भी मनाया जाता है। बता दें हरियाली तीज का त्योहार सावन माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को पड़ता है।

इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा करती हैं। बता दें कि इस बार हरियाली तीज 3 अगस्त, शनिवार को पड़ रही है। महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत ही खास महत्‍व रखता है। इस पर्व पर महिलाएं दुल्हन की तरह सजती हैं, हाथों को भी खूबसूरत मेंहदी लगाकर सजाती हैं। बताते चलें कि हाथों में मेहंदी लगाने का ये रिवाज़ सदियों से कायम है। ये त्यौहार नाग पंचमी के दो दिन पहले मनाया जाता है। यह महिलाओं के मुख्य त्यौहारों में से एक है। चलिए बताते हैं हरियाली तीज से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त-
शुक्ल पक्ष की तृतिया तिथि 3 अगस्त को 1.36 बजे से शुरू होगा और रात 22.05 बजे इसका समापन हो जाएगा।

हरियाली तीज की महत्वपूर्ण-
इस तीज पर शिव-पार्वती जी की पूजा और व्रत किया जाता है. शिव पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसे छोटी तीज या श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर भारतीय राज्यों में तीज का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. ये व्रत और पूजा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार की महिलाएं विशेष रूप से करती हैं। मान्यता है कि इस दिन शादीशुदा महिलाओं को अपने मायके के ही कपड़े पहनने चाहिए, साथ ही श्रृंगार में वहीं से आई वस्तुओं का ही इस्तेमाल करना चाहिए। अच्छे वर की मनोकामना के लिए इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं।

हरियाली तीज की व्रत विधि-
कन्याओं के इस ख़ास दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है। तीज वाले दिन कुंवारी कन्याएं और शादीशुदा महिलाएं स्नान करके घर का सारा काम खत्म करके निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने के लिए महिलाएं सबसे पहले किसी मंदिर या खुले स्‍थान पर एकत्रित होकर मां पार्वती की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहने से सजाती हैं। अर्धगोले का आकार बनाकर मां की मूर्ति बीच में रखकर पूजा की जाती है। और फिर पूजा के आख़िर में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन व लोक नृत्य किए जाते हैं. इस दिन झूला-झूलने का भी रिवाज है।

अब बात करते हैं हरियाली तीज के नियम के बारे में। पहला नियम है कि क्रोध को मन में नहीं आने दें। व्रत के दौरान झूठ नहीं बोलना चाहिए, इसके अलावा किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो व्रत का फल आपको नहीं मिलता है। इसमें व्रती को निद्रा नहीं करनी चाहिए।नींद न आए उसके भजन-कीर्तन कर सकते हैं। और व्रत के अगले दिन सूर्योदय काल में शिव-पार्वती की पूजा करके माता के सिंदूर से मांग भरनी चाहिए।

अब बताते हैं कि व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। आमतौर पर व्रत में कुछ भी खाना-पीना मना होता है, लेकिन अगर आप पहले से ही अस्वस्थ हैं, तो ऐसे में आप दिन में 2-3 बार फलों का सेवन कर सकती हैं। जिससे शरीर में जरुरी ऊर्जा बनी रहेगी जो महिलाएं शुगर की बीमारी से पीड़ित हैं उनके लिए तीज के व्रत में फलों का सेवन करने के अलावा फलों के जूस का सेवन करना भी फायदेमंद रहेगा। इससे आपके शरीर का इंसुलिन संतुलित रहेगा। इसके अलावा कई अन्य पौषक तत्व भी शरीर को मिलते हैं। धार्मिक व्रत में अन्न का सेवन करने की मनाही होती है, क्योंकि अन्न का सेवन करने से शरीर में आलस बढ़ता है और नींद आती है। जिससे व्रत खंडित होने का खतरा बढ़ जाता है।a

Jyoti

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