कौन सा युद्ध खत्म करवाने के लिए श्री विष्णु को होना पड़ा प्रकट?

Tuesday, Nov 19, 2019 - 12:13 PM (IST)

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अगर बात करें भारत देश की तो यहां ऐसे कई मंदिर व धार्मिक स्थल हैं जो हमारे लिए आस्था का केंद्र तो बने ही हुए हैं। परंतु साथ ही ये हमारे लिए आश्चर्य की विषय बना हुआ है। ऐसा ही एक मंदिर स्थित है हरिहर नाथ मंदिर। बता दें ये मंदिर बिहार की राजधानी पटना से 5 कि.मी उत्तर सारण में गंगा और गंडक के संगम पर स्थित 'सोनपुर' नामक कस्बे को प्राचीन काल में हरिहर क्षेत्र के नाम से जाना जाता था, जो आज देश के चार धर्म महा क्षेत्रों में से एक कहलाता है। प्राचीन काल में ऋषियों और मुनियों द्वारा इसे प्रयाग और गया से भी श्रेष्ठ तीर्थ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस संगम की धारा में स्नान करने से हज़ारों वर्ष के पाप कट जाते हैं।

इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां एक विशाल मेला लगता है जो मवेशियों के लिए एशिया का सबसे बड़ा मेला समझा जाता है। यह विश्व का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है जो कुल 15 दिनों तक चलता है। हालांकि बदलते परिवेश में इस मेले में भी बहुत बदलाव आया है। इस मेले में खरीददारी करने लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।

सोनपुर में स्थित बाबा हरिहर नाथ मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां श्री हरि विष्णु के दो भक्त हाथी (गज) और मगरमच्छ (ग्राह) के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए। एक बार जब कोनहारा घाट पर गज पानी पीने गया तो उसे ग्राह ने अपने मुंह में जकड़ लिया। जिसके बाद दोनों में युद्ध शुरू हो गया जो कई दिनों तक चलता रहा।

इस दौरान गज जब कमज़ोर पड़ने लगा तो उसने भगवान विष्णु के आगे प्रार्थना की। जिसके बाद भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुदर्शन चक्र चलाकर दोनों के युद्ध को खत्म करवाया।

पौराणिक किवंदतियों के अनुसार क्योंकि इसी स्थान पर गज और ग्राह का युद्ध हुआ था इसलिए यहां पशु की खरीददारी को शुभ माना जाता है। इसी स्थान पर हरि (विष्णु) और हर (शिव) का मंदिर है, जिसे बाबा हरिहर नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।

कुछ लोगों की मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण श्री राम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था। तो वहीं अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में हिंदू धर्म के दो संप्रदाय शैव व वैष्णव में अक्सर विवाद हुआ करता था, जिससे समाज में संघर्ष एवं तनाव की स्थिति बनी रहती थी। कालांतर में दोनों संप्रदाय के प्रबुद्ध जनों के प्रयास से इस स्थल पर एक सम्मेलन आयोजित कर समझौता कराया गया और यहां हरि (विष्णु) एवं हर (शंकर) की संयुक्त स्थापना की गई, जिसे हरिहर क्षेत्र कहा गया।

Jyoti

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