Happy Lohri Special Geet: लोहड़ी मांगने से पहले बोलें ये लोक गीत

Thursday, Jan 11, 2024 - 07:43 AM (IST)

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Happy Lohri Special Geet: लोहड़ी हर्ष और उल्लास का पर्व है। लोहड़ी मुख्यत: तीन शब्दों को जोड़ कर बना है। ल (लकड़ी) ओह (सूखे उपले) और ड़ी (रेवड़ी)। लोहड़ी के पर्व की दस्तक के साथ ही पहले ‘सुंदर-मुंदरिए’, ‘दे माई लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी’ आदि लोक गीत गाकर लोहड़ी मांगने का रिवाज था। समय बदलने के साथ कई पुरानी रस्मों का आधुनिकीकरण हो गया है। लोहड़ी पर भी इसका प्रभाव पड़ा। अब गांवों में लड़के-लड़कियां लोहड़ी मांगते हुए परम्परागत गीत गाते दिखाई नहीं देते। गीतों का स्थान ‘डी.जे.’ ने ले लिया है।

लोहड़ी की रात को गन्ने के रस की खीर बनाई जाती है और अगले दिन माघी के दिन खाई जाती है। यह त्यौहार नवजात बच्चों एवं नवविवाहितों के लिए विशेष महत्व रखता है। लोहड़ी की शाम जलती लड़कियों के सामने नव विवाहित जोड़े अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाए रखने की कामना करते हैं।

कहा जाता है कि एक ब्राह्मण की दो लड़कियां सुंदरी और मुंदरी के साथ इलाके का मुगल शासक जबरन शादी करना चाहता था, पर उनकी सगाई कहीं और हुई थी और मुगल शासक के डर से उन लड़कियों के ससुराल वाले शादी के लिए तैयार नहीं हो रहे थे।
मुसीबत की घड़ी में दुल्ला भट्टी ने ब्राह्मण की मदद की और लड़के वालों को मनाकर एक जंगल में आग जलाकर सुंदरी और मुंदरी का विवाह करवा कर स्वयं उनका कन्यादान किया। कहावत है कि दुल्ले ने शगुन के रूप में उन दोनों को शक्कर दी।


इसी कथनी की हिमायत करता लोहड़ी का यह गीत है जिसे लोहड़ी के दिन गाया जाता है :

‘सुंदर मुंदरिए... हो, तेरा कौन बेचारा... हो।
दुल्ला भट्टी वाला... हो,
दुल्ले  ने  धी  ब्याही... हो।
सेर शक्कर पाई... हो,
कुड़ी दा लाल पटाका... हो।
कुड़ी दा सालू पाटा... हो,
चाचा  चूरी  कुट्टी... हो,
जमींदार  लुट्टी... हो।
जमींदार  सुधाए... हो,
बड़े  पोले  आए... हो
इक पोला रह गया,
सिपाही फड़ के लै गया।
सिपाही ने मारी इट्ट,
भावें रो भावें पिट्ट,
सानूं दे दओ लोहड़ी,
जीवे तेरी जोड़ी।’
साडे पैरां होठ रोड़,
सानूं छेती-छेती तोर,
सानूं उत्तों पै गई रात।
दे माई लोहड़ी, जीवे तेरी जोड़ी। 


 

Niyati Bhandari

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