Happy Diwali 2019: त्योहारों में रंगोली का क्या है महत्व ?

Monday, Oct 21, 2019 - 11:54 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
दिवाली का पर्व आने से पहले ही लोगों में काफी उत्साह देखने को मिलता है और इसकी तैयारियां लोग पहले से ही करनी शुरू कर देते हैं। जैसे कि घर की साफ-सफाई से लेकर अन्य कई चीज़ें शामिल हैं, जिसके कारण लोग उत्साहित रहते हैं। ऐसे ही दिवाली वाले दिन लोग अपने घरों को दुल्हन की तरह सजाते हैं। उसके लिए वे रंग-बिरंगी लाइटों से लेकर मेन गेट पर रंगोली भी बनाते हैं। रंगोली को लेकर कई सारी मान्यताएं भी शास्त्रों में बताई गई हैं। जैसे कि कहा जाता है कि इसे बनाने से घर में सकरात्मक ऊर्जा फैलती है और नकरात्मकता बाहर ही रहती है। 

कहते हैं कि रंगोली बनाते वक्त मस्तिष्क के अधिक क्रियाशील होने से तनाव छू-मंतर हो जाता है। इसी तरह रंगोली बनाने के दौरान अंगुली और अंगूठा मिलकर ज्ञानमुद्रा बनाते हैं, वह मस्तिष्क को ऊर्जावान और सक्रिय बनाती है। दीपावली पर लक्ष्मीजी की पूजा में रंग-बिरंगी रोशनी, सजावट और पटाखे जैसी चीजें तो माहौल को खुशनुमा बनाती ही हैं, लेकिन रंगोली भी इस त्योहार को खुशनुमा बनाने में अहम भूमिका अदा करती है।

हमारे भारत देश में आए दिन ही कई ऐसे त्योहार आते हैं, जिसकी वजह से मार्केट में चहल-पहल देखने को मिलती रहती है। ऐसे में इन उत्सवों और संस्कारों में रंग भरती है, रंगोली। रंगोली में स्वस्तिक, कमल के फूल, लक्ष्मीजी के चरण के अलावा अन्य कलात्मक डिजाइन प्रमुख होते हैं। भारतीय त्योहार रंगों के बगैर अधूरे लगते हैं । कई क्षेत्रों में रंगोली को रंगावली भी कहा जाता है। यह शब्द रंग और आवली अर्थात् पंक्ति से मिलकर बना है जिसका अर्थ है रंगों की एक पंक्ति। 

भारत में रंगोली का आगमन मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता में मिलता है। लोक मान्यता के आधार पर जब रावण का वध करके भगवान श्रीराम माता सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास काट अयोध्या वापस आए, तब अयोध्यावासियों ने पूरी अयोध्या को दीपक तथा रंगोली से सजाया था। तब से ही प्रत्येक वर्ष दीपावली पर रंगोली बनाने का रिवाज शुरू हुआ।

देश के विभिन्न प्रांतों में रंगोली को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। जैसे कर्नाटक में रंगोली, तमिलनाडु में कोलम, पश्चिम बंगाल में अल्पना, राजस्थान में मांडना, उत्तरप्रदेश में चौक-पूजन, छत्तीसगढ़ में चौक पूरना, महाराष्ट्र में रंगोली तथा संस्कार भारती और गुजरात में साथिया के नाम से इसे जाना जाता है। रंगोली बनाने के लिए रंगीन चौक पाउडर, रेत, चावल की रंग-बिरंगी चूरी या पाउडर, आटा, चावल के दाने, चूना, प्राकृतिक रंग, फूल और फूलों की पंखुडियां, हल्दी, रोली, अक्षत इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। वर्तमान समय में मोती, सितारे, कुंदन, कांच के विभन्न शेप वाले टुकड़े तथा अन्य कलात्मक वस्तुएं रंगोली सजाने के काम में लाई जाती हैं। अब तो रंगोली के कुछ जानकार मार्डन तकनीक से बड़ी-बड़ी रंगोली बहुत कम समय में बनाने में पारंगत हो गए हैं।

कहा जाता है कि रंगोली घर में सकारात्मक ऊर्जा को लाती है और उसे बाहर नहीं निकलने देती । रंगोली बनाते समय मस्तिष्क के अधिक क्रियाशील होने से तनाव छू-मंतर हो जाता है। वास्तु के अनुसार घर में रंगोली बनाने से मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है। रंगोली को हटाने के नियम भी होते हैं। रंगोली को झाडू या कपड़े से पोछना शुभ नहीं माना जाता है। वास्तु के अनुसार रंगोली को जल की सहायता से हटाया जाना चाहिए, क्योंकि हिंदू धर्म में जल पवित्र कार्यों के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

Lata

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