Hanuman Jayanti: हनुमान जी का ये पाठ पूरी करता है हर आस

Tuesday, Apr 07, 2020 - 06:52 AM (IST)

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कह हनुमत्त विपद प्रभु सोई। जब तब भजन सुमिरन नहीं होई।।

हनुमान जी कहते हैं कि विपदा वही है जब भगवान का भजन-सिमरन नहीं होता। हनुमान जी को सभी देवी-देवताओं का वर प्राप्त है। विष्णु जी ने उन्हें अत्यंत निर्भय और ब्रह्मा जी ने कल्पपर्यन्त चिरंजीवी कहा है। शिव भोले भंडारी ने कहा,‘‘जब मेरे तीसरे नेत्र से उत्पन्न अग्नि सभी शत्रुगण को भस्म कर देगी, उस समय वह अग्नि भी इस बालक का कुछ भी अनिष्ट नहीं कर पाएगी, मेरे अमोघ शूल आदि अस्त्र-शस्त्र भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते।’’

ब्रह्मा जी ने वरदान दिया था कि मेरे ब्रह्मस्त्र, ब्रह्मदन्ड, ब्रह्मपाश तथा अन्य अस्त्र भी इस बालक को कोई नुक्सान नहीं पहुंचा पाएंगे। इंद्रदेव ने वर दिया कि प्राणी मात्र के आधार स्वरूप पवनदेव मैं आपके पुत्र को वर देता हूं कि आज से मेरा अमोघ वज्र भी इस बालक का कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। पवन पुत्र का शरीर वज्र के समान होगा।

यम ने वरदान दिया कि पवन पुत्र पर मेरे कालदंड का भी भय नहीं रहेगा। कुबेर ने वरदान दिया कि पवन पुत्र द्वारा असुरों का विनाश होगा। वरुण ने इन्हें वर दिया कि यह बालक मेरे समान शक्तिशाली होगा। भयंकर से भयंकर युद्ध में भी किसी प्रकार की कोई थकावट का अनुभव इसे नहीं होगा।

कलियुग में एक बात अटल सत्य है कि आज भी जहां कहीं राम कथा होती है, वहां पवन पुत्र हनुमान जी सशरीर किसी न किसी रूप में उपस्थित रहते हैं। श्री हनुमान जी राम कथा से शीघ्र प्रसन्न होते हैं। संसार की कोई भी ऐसी इच्छा या पदार्थ नहीं, जिसकी पूर्ति यह अखंड ब्रह्मचारी न कर सके। इसके लिए बस आवश्यकता है पूर्ण आस्था, भक्ति एवं नियम की। वैसे तो हनुमान जी से संबंधित सभी मंत्रों और स्तोत्रों, बजरंग बाण, हनुमानष्टक, सुंदरकांड, आदि का महत्व है लेकिन इन सभी में हनुमान चालीसा सर्वोपरि है।

हनुमान जी आज भी हमारे बीच हैं। मानव जाति में हनुमान जी से बढ़कर कोई भक्त नहीं हुआ। भक्त के रूप में सर्वश्रेष्ठ हनुमान जी हर समय अपने स्वामी श्री राम जी के कार्य करने को तत्पर रहते हैं। हनुमान जी उन्हीं पर कृपा करते हैं जिनका हृदय शुद्ध और विचार नेक हों।
‘कुमति निवार सुमति के संगी’

स्वयं भगवान श्री राम जी ने हनुमान जी के गुणों की व्याख्या करते हुए उन्हें अपने भ्राता भरत के समान माना है।

‘‘रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतहिं सम भाई।’’

मनोकामना पूर्ति हेतु :
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
लम्बी बीमारी से उबरने के लिए :
नासे रोग हरे सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

इस जाप को हनुमान जी के चित्र के समक्ष करने से तुरंत लाभ मिलता है:
भूतप्रेत व ऊपरी बाधा हेतु :
भूतपिशाच निकट नहीं आवे।
महावीर जब नाम सुनावे।।

Niyati Bhandari

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