Hanuman Jayanti 2020: घर बैठें करें पवनपुत्र हनुमान के इस धामों के दर्शन

Tuesday, Apr 07, 2020 - 01:38 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
भोपाल के छोला में 600 साल पुराना खेड़ापति हनुमान मंदिर स्थित है। इतने पुराना होने के कारण ही इस मंदिर के प्रति लोगों का अधिक आस्था है। न केवल देश से बल्कि दुनिया के कई अन्य कोनों से लोग बजरंगबली के इस अद्भुत मंदिर के दर्शनो को आते हैं। मंदिर के आस-पास के लोगों के अनुसार जब भी किसी गांव में खेड़े को बसाते हैं तो सबसे पहले हनुमान जी को याद किया जाता है, उसके बाद ही  उसकी स्पथाना की जाती है। बता दें इस मंदिर की सबस खास बात ये है कि इसके पास से गुजरने वाली ट्रेन का अचानक रुक जाना। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के पास पहुंचते ही लोको पायलट को ऐसा लगता है कि जैसे कोई उसे ट्रेन की रफ्तार को कम करने के लिए बोल रहा हो। अगर लोको पायलट इस आवाज़ को अनसुना कर ट्रेन की रफ्तार कम नहीं करता है तो मंदिर के करीब पहुंचते ही खुद-ब-खुद उसकी रफ्तार कम हो जाती है। अब इन बातों से आप जान ही चुके होंगे कि हिंदू धर्म केलोगों के लिए ये मंदिर कितना महत्व रखता है। 8 अप्रैल, 2020 बुधवार के दिन हनुमान जी की जन्मोत्सव के खास अवसर पर आपको बताते हैं इस तरह के भोपाल में स्थित तमाम मंदिरों से जुड़ी रोचक व दिलचस्प जानकारी।

मरघटिया महावीर का मंदिर-
भोपाल के शाहजहांनाबाद में स्थित मरघटिया महावीर का मंदिर 150 साल से भी अधिक पुराना बताया जाता है। यहां की खासियत ये है कि यहां एक श्मशान हुआ करता था और नवाबी शासनकाल में यहां कुंए से हनुमान जी की प्रतिमा प्रकट हुई थी। जिसे बाहर निकालकर इसकी स्थापना कर और यहां मंदिर की स्थापना की गई। पुजारियों का कहना है कि वो मंदिर के भीतर स्थित कुंए से पवनसुत का जलाभिषेक करते हैं। इस मंदिर में हनुमान जी की बाल प्रतिमा विराजमान है।

बूढ़े हनुमान का मंदिर-
बताया जाता है भोपाल में स्थित बूढ़े हनुमान मंदिर की स्थापना 1964 से पहले हुई थी। यह मंदिर भोपाल के लालघाटी की एक गुफा में स्थित है। यह मंदिर बहुत पुराना है जहां हनुमान जी वृद्ध स्वरूप में विराजमान हैं। इस प्रतिमा के साथ एक और महावीर की प्रतिमा विराजमान हैं जिसे बड़े हनुमान के नाम से जाना जाता है।
इस जगह ठहर गई थी हनुमान जी की प्रतिमा-
हनुमान जी का यह प्रसिद्ध मंदिर भोपाल के नए शहर लोहा बाज़ार में स्थित है, जो 100  साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता यह है कि यहां एक गांव में एक बार खेत से हनुमान की दो प्रतिमाएं प्रकट हुई थीं। इन प्रतिमाओं को लेकर जब ग्रामीण गांव से बाहर जा रहे थे तो एक गाड़ी आगे बढ़ गई लेकिन दूसरी बैलगाड़ी इस स्थान से आगे न बढ़ी। इस प्रतिमा को हिलाने के लिए बैल छोड़ा हाथी तक की मदद ली गई लेकिन ये प्रतिमा टस से मस न हुई। जिसके बाद यहां भीड़ इकट्ठा हो गई इसके बाद मूर्ति की स्थापना इसी गांव में कर दी गई।

Jyoti

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