5 हजार वर्ष प्राचीन ‘श्रीकृष्ण मंदिर’, आप भी जानें कहां है?

Sunday, May 08, 2022 - 10:50 AM (IST)

शस्त्रों का बात, जानें धर्म के साथ

केरल के त्रिशूर जिले में गुरुवायुर गांव केरल के लोकप्रिय तीर्थस्थलों में से एक है। यहां स्थित मंदिर के देवता भगवान गुरुवायुरप्पन हैं, जो बालगोपालन यानी श्रीकृष्ण के  बाल रूप में हैं।

आमतौर पर इस जगह को दक्षिण की द्वारिका के नाम से भी पुकारा जाता है। गुरु का अर्थ है देवगुरु बृहस्पति, वायु का मतलब है भगवान वायुदेव और ऊर एक मलयालम शब्द है, जिसका अर्थ होता है भूमि इसलिए इस शब्द का पूरा अर्थ है - जिस भूमि पर देवगुरु बृहस्पति ने वायु की सहायता से स्थापना की। मंदिर में भगवान कृष्ण की चार हाथों वाली मूर्ति है जिसमें भगवान ने एक हाथ में शंख, दूसरे में सुदर्शन चक्र और तीसरे हाथ में कमल पुष्प और चौथे हाथ में गदा धारण किया हुआ है। मूर्ति की पूजा भगवान कृष्ण के बाल रूप यानी बचपन के रूप में की जाती है। इस मंदिर में शानदार चित्रकारी की गई है जो श्री कृष्ण की बाल लीलाएं प्रस्तुत करती हैं। मंदिर को भूलोक वैकुंठम के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है धरती पर वैकुंठ लोक। मान्यता के अनुसार मंदिर का निर्माण स्वयं विश्वकर्मा द्वारा किया गया था और निर्माण इस प्रकार हुआ कि सूर्य की प्रथम किरणें सीधे भगवान गुरुवायुर के चरणों पर गिरें। माना जाता है कि मंदिर 5000 साल पुराना है और 1638 में इसके कुछ हिस्से का पुनर्निर्माण किया गया था।



दंतेश्वरी माता मंदिर
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा कस्बे में स्थित दंतेश्वरी माता मंदिर बस्तर की सबसे सम्मानित देवी को समर्पित है।

यह 52 शक्ति पीठों में से एक है। माना जाता है कि देवी सती का दांत यहां गिरा था इसलिए इसका नाम दंतेवाड़ा पड़ा। हर साल दशहरे के अवसर पर आस-पास के गांवों तथा जंगलों से बड़ी संख्या में आदिवासी यहां देवी की पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं।

अब यह आयोजन ‘बस्तर दशहरा उत्सव’ का खास आकर्षण है।



मुखलिंगम मंदिर
आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जलुमुरू मंडल में स्थित भगवान शिव को समर्पित 10वीं शताब्दी में पूर्वी गंगा राजाओं द्वारा निर्मित यह 3 मंदिरों का समूह है।

यहां के देवता मुखलिंगेश्वर, भीमेश्वर और सोमेश्वर हैं। ये सभी मंदिर वास्तुकला की उड़िया शैली को प्रदर्शित करते हैं। मंदिर किसी आर्ट गैलरी से कम नहीं हैं।

मुखलिंगम मंदिर को कलिंगनगर के नाम से भी जाना जाता है, जो प्रारंभिक पूर्वी गंगा शासकों की राजधानी थी। उन्होंने पहली सहस्त्राब्दी के दूसरे भाग में आंध्र पर शासन किया।


मंदिर के विशाल प्रवेश द्वार पर दो शेरों की प्रतिमाएं बनी हैं। गर्भगृह के सामने एक नंदी मंडप स्थित है। जैसा कि मंदिर के नाम से ही विदित है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर शिव जी का मुख चित्रित है।
 

Jyoti

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