पिछले 9 सालों से पार्वती की नहीं बल्कि इस देवी की राह देख रहे हैं भोले बाबा

Wednesday, Nov 06, 2019 - 10:23 AM (IST)

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ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमःशिवाय

शिव परेश्वर, सबके महेश्वर,  उमापति नागेश्वर, ओंकारेश्वर, शिव शंभू महाकलेश्लवर सबके भीतर बसते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनिसार जो कल्याणकारी शिव जी का नाम सुबह-शाम जपता है उसे अपने समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है और वे अपने जीवन में सुख पाता है। इसके अलावा शिव जी को जल अर्पित करने का बहुत महत्व है। बल्कि हिंदू धर्म में शिव जो खासतौर पर जल आदि से अभिषेक करने का सावन का महीना भी समर्पित है। मान्यता है जो भक्त शिव जी को पूरी श्रद्धा भाव से गंगा जल अर्पित करता है उसकी स्वयं भगवान शिव से काल से रक्षा करते हैं और उस पर कोई आंच नहीं आती न ही उस पर किसी भी तरह के दुख का साया रहता है।

परंतु क्या आप जानते हैं जहां देश भर में रोज़ाना व खास तौर पर सावन के महीने में शिव जी पर जल की धारा बहती है तो वहीं देश में एक ऐसा शिवलिंग है जो आज तक गंगाजल के इंतज़ार में है। जी हां, आपको जानकार हैरान होगी कि लेकिन ये सच है। देश की राजधानी के निकट गुरुग्राम में बाघनकी नामक गांव में ऐसा शिवलिंग है जहां भक्तों ने पिछले कई वर्षों से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाया।

अब सवाल ये है कि आख़िर ऐसी क्‍या वजह हो सकती है कि जो यहां शिवलिंग भक्‍तों के स्‍नेह से वंचित है। अगर आप भी जानने के इच्छुक हैं तो यहां जानें विस्तार से।

बताया जाता है हरियाणा के बाघनकी गांव में सावन आते ही हर जगह मातम पसर जाता है। इतना ही नहीं बल्कि यहां तो गांववासियों को कांवड़ियों के भगवा रंग से भी नफ़रत हो चुकी है। बताया जाता है ऐसा नही है कि शिव और कांवड़ से यहां के लोगों का हमेशा से वैर नहीं था। दरअसल साल 2010 से पहले तक सावन आते ही यहां भी पहले शिव के जयकारों से पूरा गांव गूंजने लगता था।

मगर 2 अगस्त 2010 में एक ऐसा हादसा हुआ जिसके बाद गांव वालों ने शिव से अपना हर नाता तोड़ लिया। आज की तारीख में इस गांव की महिलाएं शिवरात्रि का व्रत तक नहीं रखती है और न कोई शिव के मंदिर जाता है।
यहां के लोगों के अनुसार यहां गांववालों के आंसू अभी भी थम नहीं पाए हैं। क्योंकि 2010 में एक साथ यहा रहते 10 परिवारों के चिराग बुझ गए। दर्जन भर महिलाएं विधवा हो गईं। इस हादसे ने बूढ़े माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा छीन लिया। इनमें से कई ने तो उस घटना के बाद से गांव ही छोड़ दिया। बहनों ने उस साल राखी का त्योहार नहीं मनाया।

बात 2010 की जब हर साल की तरह उस साल भी गांव के 22 युवाओं सहित साथ कुल 24 लोगों का दल कांवड़ यात्रा पर निकला और गुप्तकाशी के पास एक सड़क हादसे में मारा गया। गांव में एक साथ 22 युवाओं का शव देखकर लोगों को ऐसा सदमा लगा जिससे वह अब तक उबर नहीं पाए हैं।

बताया जाता है पिछले कई वर्षों से यहां स्थापित शिव मंदिर में साफ-सफाई नहीं की गई है। जिससे यहां  जंगली घास उग आई है। हालांकि कुछ लोग दोबारा मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाने की बात कर रहे हैं ताकि फिर से पूजा-अर्चना शुरू हो सके।

 

Jyoti

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