गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर: होली का त्योहार हमें क्या संदेश देता है ?

Monday, Mar 25, 2024 - 12:12 PM (IST)

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Gurudev Sri Sri Ravi Shankar: होली मौज-मस्ती और आनंद का उत्सव है। हमारा जीवन भी होली की तरह जीवंत और रंगों से पूर्ण होना चाहिए। नीरसता और उकताहट से भरा नहीं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा साल की आखिर पूर्णिमा है। तो भारत में ऐसी पद्धति है कि इस दिन घर की सारी पुरानी चीज़ों को इकट्ठा करके उसकी होली जलाते हैं और उसके अगले दिन रंग खेलकर होली मनाते हैं।  


Our roles in life should be as clear as colours जीवन में हमारी भूमिकाएं भी होनी चाहिए रंगों की तरह स्पष्ट 
जैसे हर रंग अपने आप में स्पष्ट दिखते हैं, वैसे ही जीवन में हमारी विभिन्न भूमिकाएं और भावनाएं भी स्पष्ट रूप से परिभाषित होनी चाहिए। कई बार हम इन में घालमेल कर देते हैं तभी भ्रम और समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जिस समय आप पिता की भूमिका में हैं, तो पिता ही रहें। जब आप ऑफिस में हों तो अपने काम पर ध्यान केंद्रित रखें। इन भूमिकाओं को मिलाने से ही गलतियां होती हैं। स्पष्टता जीवन के विभिन्न पहलुओं की सुंदरता को सबके सामने लाती है। यह हमें हर भूमिका को ठीक से निभाने की शक्ति देती है।


What does Hiranyakashipu symbolize ? हिरण्यकश्यप किसका प्रतीक है ?
हमारे देश में होली के विषय में हिरण्यकश्यप, होलिका और प्रह्लाद की एक कहानी बहुत प्रचलित है। हिरण्यकश्यप एक असुर राजा था। ‘हिरण्यकश्यप’ माने वह व्यक्ति जो हमेशा स्वर्ण या भौतिक धन सम्पदा की ओर ही देखता रहता हो। हिरण्यकश्यप को स्वयं भी गहरे आनंद की खोज थी लेकिन वह वास्तविक आनंद को पहचान नहीं पाया। उसके अपने पुत्र प्रहलाद (विशेष आह्लाद ) के इतने समीप होते हुए भी वह उसको पहचान नहीं पाया और उसी आनंद को वह इधर-उधर ढूंढता रहा। इसलिए ‘हिरण्यकश्यप’ स्थूलता का प्रतीक है।

 
Who is the Prahlad within us ? हमारे भीतर का प्रह्लाद कौन है ? 
हिरण्यकश्यप के पुत्र का नाम प्रह्लाद था। प्रह्लाद का अर्थ है एक विशेष संतोष, खुशी और आह्लाद। प्रहलाद भगवान नारायण का भक्त था। नारायण माने आत्मा। जो खुशी हमें भीतर अपनी आत्मा से मिलती है, वह खुशी और कहीं नहीं मिल सकती। हम सभी को एक ऐसे विशिष्ट आनंद की चाह है जो कभी समाप्त न हो। ऐसे ही विशिष्ट आनंद की तलाश में लोग शराब पीते हैं, जुआ खेलते हैं और पैसे इकट्ठे करते हैं। लोग जो भी हित-अहित काम कर बैठते हैं, वह सब उसी विशिष्ट आह्लाद ‘प्रह्लाद’ की चाह में करते हैं। 

What is the meaning of Holika? होलिका का गूढ़ार्थ क्या है ?
होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी। होलिका को अग्निदेव ने ऐसा आशीर्वाद दिया था, जिसके कारण अग्नि होलिका को कोई हानि नहीं पहुंचा सकती थी । ‘होलिका’, अतीत के बोझ का प्रतीक है, जो प्रह्लाद की सरलता को जलाने का प्रयास करती है ।
 
Story behind the Holika Dahan होलिका दहन के पीछे की कहानी 
ऐसी कथा प्रचलित है कि असुर राजा हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र प्रह्लाद की नारायण भक्ति पसंद नहीं थी। वह चाहता था कि जैसे राज्य के अन्य लोग हिरण्यकश्यप की भक्ति करते हैं वैसे ही प्रह्लाद भी  बल्कि हिरण्यकश्यप की भक्ति करे लेकिन हिरण्यकश्यप के अनेक प्रयासों के बाद भी प्रह्लाद ने अपनी नारायण भक्ति जारी रखी। एक बार हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि पर बैठ जाए। होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि पर बैठी किंतु प्रह्लाद नहीं जला बल्कि होलिका जल गई। यह होलिका दहन की कहानी है। 

लोभी व्यक्ति दूसरों को कम, खुद को ज्यादा सताते हैं। ऐसे लोगों के चेहरे में कोई आनंद, मस्ती और शांति कभी हो ही नहीं सकती। अतीत के समाप्त हो जाने से जीवन एक उत्सव बन जाता है। अतीत को जलाकर, आप एक नई शुरुआत के लिए तैयार होते हैं। आपकी भावनाएं आग की तरह आपको जला देती हैं लेकिन जब रंगों का फव्वारा फूटता है तो वे आपके जीवन में आनंद भर देते हैं। अज्ञानता में भावनाएं हमें परेशान करती हैं। ज्ञान के साथ वही भावनाएं रंगीन हो जाती हैं।

Niyati Bhandari

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