Guru Purnima 2022: इस एक काम को करने से आप भी बन सकते हैं धनवान

Tuesday, Jul 12, 2022 - 06:34 PM (IST)

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शास्त्रों में गुरु के स्थान को सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया है। हर व्यक्ति के जीवन में उसके गुरु का विशेष महत्व होता है। आपने कई कहते सुना भी होगा कि बिना गुरु के ज्ञान क्या कहां।  यानि कि सच्चे गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं। जी हां, गुरु हमारा शिक्षक भी है और भक्ति की राह दिखाने वाला भी हमारा गुरु भी। तो इसलिए 13 जुलाई, दिन बुधवार का दिन बेहद ही खास है क्योंकि इस दिन गुरु पूर्णिमा है। जो कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है।  इस दिन गुरु की पूजा करने का विधान है। बता दें कि वेदों की रचयिता महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। उन्होंने वेदों का विभाजन किया, पुराणों की रचना की। यही कारण है कि इस दिन गुरुजनों की पूजा करने का विधान। तो वहीं इस साल की गुरु पूर्णिमा बेहद ही शुभ है। तो ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं क्यों इस साल की गुरु पूर्णिमा इतनी खास है। साथ ही गुरु पूर्णिमा की पूजन विधि और इससे जुड़ी पूरी जानकारी आपको देंगे। आइए जानते हैं- 
सबसे पहले बता दें कि पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 जुलाई को प्रातःकाल 04 बजे पर होगा और इसका समापन 14 जुलाई को प्रातःकाल 12 बजकर 06 मिनट पर होगा। तो वहीं ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार गुरु पूर्णिमा पर कई ग्रह नक्षत्रों की युति से राजयोग का निर्माण हो रहा है।  गुरु पूर्णिमा पर गुरु, मंगल, बुध और शनि ग्रह का शुभ संयोग दिखने को मिलेगा।  इन ग्रहों के कारण इस दिन रूचक, भद्र, हंस और शश नाम के चार शुभ योग बन रहे हैंं।  जो राजयोग के समान है।  जिस कारण इस बार 13 जुलाई को पड़ने वाली गुरु पूर्णिमा बेहद ही खास है।  आपको बता दें कि इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन सू्र्य-बुध की युति से बुधादित्य योग, मंगल के मेष राशि में विराजमान होने के कारण रुचक योग, गुरु के मीन राशि में होने से हंस योग, शनिदेव के मकर राशि में होने के कारण शश योग और बुध के मिथुन में गोचर करने के कारण भद्र योग का शुभ योग बन रहा है। तो वही पूर्मिमा तिथि पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व होता है। तो ऐसे में गुरु पूर्णिमा पर चंद्रोदय रात 07 बजकर 28 मिनट पर होगा। चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें। चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है। 
 

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गुरु पूर्णिमा पूजा विधि- 
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी नहाकर पूजा करके साफ कपड़े पहनकर गुरु के पास जाना चाहिए और अगर ऐसा संभव न हो तो अपने गुरु की तस्वीर सामने रखकर भी इस पूजन का पालन किया जा सकता है।  गुरु को ऊंचे आसन पर बैठाकर या उनकी फोटो रखकर फूलों की माला पहनानी चाहिए। 

पूजा स्थान पर पटिए पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर चंदन से 12 सीधी और 12 आड़ी रेखाएं खींचकर व्यास-पीठ बना लें। इसके बाद गुरू पूजन के लिए संकल्प लेना चाहिए।  इसके बाद कपड़े, फल, फूल और फूल चढ़ाएं। 

इसके बाद अपने गुरु की पूजा करके या फिर चित्र की पूजा करने के बाद श्रद्धा अनुसार दक्षिणा  देनी चाहिए। इस प्रकार श्रद्धापूर्वक पूजा करने से गुरु का आशीर्वाद मिलता है। आखिरी में गुरु पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद बांट दें।  

इसके अलावा पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है। 

भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। इस पावन दिन भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें। 

बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना गया है, बृहस्पति को किस्मत, धन, शिक्षा, संतान और हर प्रकार से आशीर्वाद प्रदान करने वाला ग्रह बताया गया है, ऐसे में अगर आपने अभी तक कोई गुरु नहीं बनाया है तो इस इनकी पूजा अवश्य करें।  

कुंडली के दोषों को दूर करने के लिए आज गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त करने से हर प्रकार के कष्टों से निजात मिलती है व जीवन धन्य हो जाता है। 
 

Jyoti

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