सही गुरु का चयन जरूरी, वरना संवरने की जगह बिगड़ जाती है जीवन की दिशा

Tuesday, Jun 14, 2022 - 01:44 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
"गुरु" एक ऐसा शब्द है जो आपका जीवन को नर्क से स्वर्ग में बदलने की क्षमता रखता है। यूं भी कह सकते हैं कि गुरु ही व्यक्ति को एक नई दिशा प्रदान करता है बिना गुरु के मार्गदर्शन के कोई भी व्यक्ति की अपने जीवन में न तो सही मार्ग पर चल सकता है न ही सफलता को प्राप्त कर पाता है। कहा जाता है प्राचीन समय में गुरु की बेहद अहमियत थी, परंतु आज के समय की बात करें तो जिसे देखो वहीं अपने नाम के साथ गुरु लगाकर गुरु जैसी मान-सम्मान पाने में लगा है। परंतु गुरु की असली परिभाषा क्या है इस बारे में कोई जानता है?


क्या आपको गुरु की पहचान है? क्या आप जानते हैं गुरु कैसे दिखते हैं? क्या आप ये जान सकते हैं कि आप जिस को गुरु मान रहे हो, वो सच्चा है या नहीं? अगर नहीं तो चलिए आज आपकी इस संदर्भ से जुड़ी जानकारी देते हैं। और जानने की कोशिश करते हैं अगर असली गुरु कौन हैं?

तो बता दें सच्चे गुरु की पहचान कैसे हो! इस बारे में हिंदू धर्म के पावन ग्रंथों में बहुत अच्छे से उल्लेख किया गया है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गुरु वह है जो ज्ञान दे। संस्कृत भाषा के इस शब्द का अर्थ शिक्षक और उस्ताद से लगाया जाता है। इस आधार पर व्यक्ति का पहला गुरु माता-पिता को माना जाता है। दूसरा गुरु शिक्षक होता है जो अक्षर ज्ञान करवाता है। उसके बाद कई प्रकार के गुरु जीवन में आते हैं जो बुनियादी शिक्षाएं देते हैं। पारंपरिक रूप से, गुरु शिष्य लिए एक श्रद्धेय व्यक्ति माना गया है, गुरु एक "परामर्शदाता के रूप में सेवा करता है, जो मूल्यों को ढालने में मदद करता है, अनुभवात्मक ज्ञान को उतना ही साझा करता है जितना कि शाब्दिक ज्ञान, जीवन में एक अनुकरणीय, एक प्रेरणादायक  स्रोत और जो एक छात्र के आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।

गुरु की सेवा करने से मुक्ति नहीं मिलती। बल्कि कहा जाता है जो मुक्ति दिला दे वो गुरु होता है। ये तथ्य सुनने में बेहद अच्छा लगता है लेकिन बात में तर्क है, ये तभी पता लगाया जा सकता है जब गुरु के उपदेश से जीवन में बंधन कट रहे हैं और मुक्ति के फूल खिल रहे हों। जिस गुरु की छाया में मन का अंधकार दूर न हो, भ्रम दूर न हो, गलतफहमियां बढ़ती जाए न, ऐसे गुरु का त्याग कर देना ही अच्छा है। क्योंकि ऐसा गुरु आपको पार नहीं लगा सकता बल्कि स्वयं तो डूबता ही बल्कि अपने साथ कईं को ले डूबता है।

धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है गुरु बड़े से बड़ा ज्ञानी हो सकता है जो अपने ज्ञान से आपकी सफलता की चरम सीमा पर ले जा सकता है। तो वहीं इससे बड़े से बड़ा पिंजरा हो सकता है। क्योंकि अगर व्यक्ति गुरु का सही चयन नहीं करता और यूं ही किसी को भी अपना गुरु बना लेता है तो ये उस पिंजरे में फंसने के बाद जल्दी उससे निकल नहीं पाता। सही गुरु मुक्ति का साधन भी हो सकता है और गलत गुरु उसी मुक्ति से आप को कोसों दूर कर देता है इसलिए ये निर्भर करता है व्यक्ति के ऊपर कि वो कैसे इसका सही चयन करता है।

 

Jyoti

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