Gupt Navratri 2022: इन मंत्रों का जप करने से मिलेगा मां से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

Thursday, Jul 07, 2022 - 10:25 AM (IST)

शास्त्रों का बात, जानें धर्म के साथ 
हिंदू धर्म में नवरात्रि का अधिक महत्व है। गुप्त नवरात्रि हो या शारदीय नवरात्रि दोनों के ही 9 दिनों को विशेष महत्व प्रदान है। अतः इन नौ दिनों में मुख्य रूप से देवी के नौ रूपों की तो गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की विधि वत पूजन अर्चना की जाती है। इस संदर्भ में काफी जानकारी हम आपको दे चुके हैं। 07 जुलाई को दिन गुरुवार को गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि पड़ रही है। जिसके उपलक्ष्य देवी गौरी का महागौरी रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। तो वहीं कहा जाता है इस दिन देवी के कुछ खास मंत्रों का जप करना भी लाभकारी माना जाता है। तो चलिए महाअष्टमी तथा मासिक दुर्गाष्टमी के दिन लाभ दिलाने वाले खास मंत्रों के बारे में-

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार निम्न बताए गए मंत्रों का जप करते समय खास सावधानियों रखनी चाहिए। ज्योतिष शास्त्री बताते हैं कि अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। मंदिर या घर के  पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई कर लें और पूजा घर व समस्त घर में गंगा जल का छिड़काव कर लें। माता रानी को लाल पुष्प, सिंदूर, अक्षत, नारियल, लाल वस्त्र-चुनरी, पान, सुपारी, फल व मिठाई आदि अर्पित करें व दुर्गा चालीसा तथा मां अंबे की आरती का जाप करें। इसके अलावा जीवन के कष्टों को दूर करने के लिए व जीवन में खुशहाली पाने के लिए इन मंत्रों का जप करना चाहिए।

माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए महा मंत्र-

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 

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या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।


नवार्ण मंत्र-‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’

(नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी धार्मिक व ज्योतिष मान्यताओं पर आधारित हैं, पंजाब केसरी ऐसे किसी लेख की पुष्टि नहीं करता।)
 

Jyoti

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