गुप्त नवरात्रि 2020: माघ मास के नवरात्रि क्यों कहलाते हैं गुप्त, जानते हैं आप?

Saturday, Jan 25, 2020 - 02:58 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म के लगभग लोग आज भी साल में आने वाले चैत्र या वासंतिक नवरात्र तथा आश्विन या शारदीय नवरात्रों के बारे में ही जानते हैं। बहुत कम लोग हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रों के बारे में पता होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके अलावा साल में दो और नवरात्र पड़ते हैं जिस दौरान लोग अपनी विशेष प्रकार की कामनाओं की सिद्धि के लिए देवी मां के समस्त रूपों की आराधना करते हैं। दरअसल इन्हें गुुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जिस दौरान लगभग तमाम तांत्रिक साधु अपनी तांत्रिक शक्तियों को बढ़ाने के लिए देवी मां की पूजा-अर्चना करते हैं। मगर क्या आप में से कोई ये जानता है आख़िर इन्हें गुप्त नवरात्रि क्यों कहा जाता है। अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं इसके पीछे का असल कारण कि क्यों इन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। 

गुप्त नवरात्रि होते हैं वर्ष में दो बार

सबसे पहले ये जान लें कि हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला देवी दुर्गा का यह पर्व वर्ष में कुल चार बार आता है। यह चारों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं। अगर धार्मिक ग्रंथों की दृष्टि से देखें तो महाकाल संहिता और तमाम शाक्त ग्रंथों में इन चारों नवरात्रों का महत्व बताया गया है। इसमें विशेष तरह की इच्छा की पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा और अनुष्ठान संपन्न किया जाता है। तो वहीं गुप्त नवरात्रों को गुप्त कहे जाने का असल कारण यही है कि इस दौरान देवी मां की गुप्त रूप से पूजा की जाती है, ताकि इनसे शक्तियां प्राप्त की जा सकें। इस बार माघ महीने के गुप्त नवरात्रि 25 जनवरी से शुरू होकर 03 फरवरी तक मनाए जाने वाले हैं। 

नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में अंतर

सामान्य नवरात्रि में आम तौर पर सात्विक पूजा की जाती है तो वहीं गुप्त नवरात्रि में सात्विक एवं तांत्रिक पूजा दोनों की जाती हैं। परंतु अधिकरत ध्यान तांत्रिक पूजा की ओर दिया जाता है।  

शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा-पाठ तथा साधना का अधिक प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता है, बल्कि इसे गोपनीय रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान जातक द्वारा की गई पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, उतनी ही ज्यादा सफलता मिलेगी।

गुप्त नवरात्रि पूजा विधि

सामान्य नवरात्रि की तरह इस दौरान भी कलश स्थापना की जा सकती है।
जो लोग इस दौरान कलश की स्थापना करते हैं उन्हें सुबह शाम दोनों समय मंत्र जाप, दुर्गा चालीसा तथा सप्तशती का पाठ आदि करके दोनों समय आरती भी करनी चाहिए।
इसके साथ मां को सुबह-शाम अपनी क्षमता अनुसार भोग भी लगाएं। माना जाता है कि इन्हें अर्पित किया जाने वाला सबसे सरल और उत्तम भोग लौंग और बताशे का है।
इसके अलावा इन्हें प्रसन्न करने के लिए लाल फूल अर्पित करने सबसे सर्वोत्तम माने गए हैं। ध्यान रहें देवी मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल न चढ़ाएं। 
व्रती इस बात का पूरा ध्यान रखें कि पूरे नौ दिन इनका खान पान और आहार सात्विक हों।

गुप्त नवरात्रि के दौरान करें ये उपाय 

एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर, मां की मूर्ति या प्रतिकृति की स्थापना करें। फिर मां के समक्ष एक बड़ा घी का एकमुखी दीपक जलाएं। तथा प्रातः और सायं दोनों समय मां के विशिष्ट मंत्र का 108 बार जप करें।

नवरात्रि मंत्र

 "ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे"

Jyoti

Advertising