गुड़ी पड़वा 2019 : कैसे और किस विधि से करनी चाहिए गुड़ी स्थापना

Saturday, Apr 06, 2019 - 12:40 PM (IST)

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आज से चैत्र नवरात्रि का प्रांरभ हो गया है, इसके बारे में तो लगभग लोग जानते ही हैं लेकिन बहुत कम लोग होंगे जिन्हें पता होगा कि आज से हिंदू नववर्ष शुरू होता है। जी हां, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भारतीय नववर्ष आरंभ है, जिसे गुड़ी पड़वा के नाम से मनाया जाता है। बता दें कि गुड़ी पड़वा को लेकर देष के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे गौवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग इस पर्व तो संवत्सर पड़वो के रूप में मनाया जाता है। तो वहीं कर्नाटक में इसे युगाड़ी कहा जाता है। इसे तरह भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है।

परंतु हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसे गुड़ी पड़वा ही कहा जाता है। बता दें कि शास्त्रों के अनुसार गुड़ी का मतलब झंडा और पड़वा का अर्थ प्रतिपदा होता। इस दिन हिंदू परिवारों में गुड़ी का पूजन होता है। सभी घर के द्वारों पर गुड़ी लगाते हैं और इसे पत्तों से सजाते हैं। मान्यता है कि गुड़ी पड़व का ये पर्व घर की सुख, शांति और समृद्धि स जुड़ा हआ है।

पूजा विधि:
ब्रह्रम मूहूर्त में उठकर घर की साफ-सफ़ाई करके नित्य कामों से निवृत होकर स्नान करें।

पूजा-स्थल को पावन करने के लिए स्वास्तिक चिन्ह लगाएं या कुमकुम से बना लें। एक चौकी के ऊपर सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर उसपर हल्दी व केसर से रंगे अक्षत से कमल बनाकर उस पर ब्रह्माजी को स्थापित कर दें। इसके बाद  स्वास्तिक के केन्द्र में हल्दी और कुमकुम लगाएं। फिर गणेशाम्बिका की पूजा करें और हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प और जल लेकर भगवान ब्रह्माजी के मंत्र का उच्चारण करने के बाद पूजा शुरू करें।

मंत्र-
ॐ नामः ब्रह्मणे ।।

गुड़ी स्थापना-
देखा जाता है कि इस दिन लोग घर में गुड़ी की स्थापना करते हैं। जैसे कि हमने  ऊफर बताया कि गुड़ी का मतलब झंडा होता है। ये एक तरह से डंडा होता है जिसे हरे या पीले रंग के कपड़े से सजाया जाता है। ज्योतिष के मुताबिक इस कपड़े को डंडे के सबसे ऊपर बंधना चाहिए। इसके अलावा नीम, आम के पत्ते और माला भी डंडे के ऊपरी छोर पर बांधे जा सकते हैं। इस पर तांबे या चांदी का लोटा भी रखा जाता है।


मान्यताओं की मानें तो इसक स्थापना के बाद श्री विष्णु और ब्रह्रा जी के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। कहते हैं कि गुड़ी दूर से ही नज़र आए इसके लिए उसे घर की छत पर या किसी अन्य ऊंचे स्थान पर लगाया जाता है।

इन मंत्र का करें उच्चारण-
ॐ चतुर्भिर्वदनैः वेदान् चतुरो भावयन् शुभान्।

ब्रह्मा मे जगतां स्रष्टा हृदये शाश्वतं वसेत्।।

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Jyoti

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