जानिए, अन्नकूट महोत्सव की पूजा विधि
punjabkesari.in Monday, Oct 28, 2019 - 11:49 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है और इस साल ये आज यानि 28 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। वृंदावन और मथुरा सहित देश के कई इलाकों में गोवर्धन पूजा की जाती है। जिसे कई लोग अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस दिन गाय की पूजा करने भी विधान बताया गया है। भगवान कृष्ण को इस दिन पूरे 56 प्रकार का भोग लगाने की परंपरा होती है। अन्नकूट/गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारंभ हुई। ये ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है। चलिए आगे जानते हैं इस दिन कि पूजा विधि-
इस दिन लोग अपने घर के आंगन में गाय के गोबर से एक पर्वत बनाते हैं जिसे जल, मौली, रोली, चावल, फूल, दही अर्पित कर तथा तेल का दीपक जलाकर उसकी पूजा की जाती है।
इसके बाद गोबर से बने इस पर्वत की परिक्रमा लगाई जाती है। इसके बाद ब्रज के देवता गिरिराज भगवान को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। जिसमें 56 प्रकार के अलग-अलग व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।
कहते हैं कि जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर इन्द्र का मान-मर्दन किया तथा उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी, सभी गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे, तब ब्रह्माजी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्रीकृष्ण ने जन्म ले लिया है, उनसे बैर लेना उचित नहीं है। तब श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्रदेव अपने इस कार्य पर बहुत लज्जित हुए और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की।भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव 'अन्नकूट' के नाम से मनाया जाने लगा।