क्यों गाया जाता है शरद पूर्णिमा की रात गोपी गीत ?

Friday, Oct 11, 2019 - 05:02 PM (IST)

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इस बात से तो सब वाकिफ ही हैं कि हर माह में पूर्णिमा आती है और ये खास होती है। लेकिन अश्विन माह में पड़ने वाली पूर्णिमा अलग होती है, जिसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में ये रात बड़ी खास मानी जाती है। कहते हैं कि इस रात भगवान कृष्ण ने अपनी गोपियों संग मिल कर रास लीला की थी। इसी बीच सभी गोपियों ने मिलकर एक गीत गाया था, जिसे गोपी गीत के नाम से जाना जाता है। लेकिन क्या आप में से कोई ये बात जानता है, कि जब रास का समय आया तो कुछ देर के लिए भगवान अंतर्ध्यान हो गए थे। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

शरद पूर्णिमा की रात रास प्रारम्भ होने से पहले गोपियों को मान हो जाता है कि इस जगत में हमारा भाग्य ही सबसे श्रेष्ठ है, ऐसा सोचते ही भगवान उनके मन की बात समझकर बीच रास से अंतर्ध्यान हो जाते है। उन्हें न देखकर व्रजयुवतियों के हदय में विरह की ज्वाला जलने लगी। वे प्रेम की मतवाली गोपियां श्रीकृष्णमय हो गई और फिर श्रीकृष्ण की विभिन्न चेष्टाओं और लीलाओं का स्मरण करने लगी। वे अपने को सर्वथा भूलकर ‘श्रीकृष्ण स्वरुप’ हो गई।

मतवाली होकर एक वन से दूसरे वन में एक झाड़ी से दूसरी झाड़ी में जाकर श्रीकृष्ण को ढूंढने लगी। बहुत समय बीत जाने के बाद भगवान के विरह की अग्नि में वे पहले से अधिक तड़पने लगी और एक ही स्वर में, ‘गोपी-गीत’ का गान करने लगी। जब भगवान उन्हें कहीं नहीं मिले तो श्रीकृष्ण के ध्यान में डूबी गोपियां यमुना जी के पावन पुलिन पर रमणरेती में लौट आयी और एक साथ मिलकर श्रीकृष्ण के गुणों का गान करने लगी.सबने एक साथ, एक ही स्वर में, ‘गोपी-गीत‘ गाया।

यहां जानें, वो गीत जो गोपियों ने श्री कृष्ण को शरद पूर्णिमा की रात सुनाया था


जब सब गोपियों के मन की दशा एक जैसी ही थी, सबके भाव की एक ही दशा थी, तब उन करोड़ो गोपियों के मुंह से एक ही गीत, एक साथ निकला इसमें आश्चर्य कैसा ? गोपी गीत में उन्नीस श्लोक और गोपी गीत `कनक मंजरी’ छंद में है। भगवान के अन्तर्धान होने का एक कारण और था भगवान गोपियों के प्रेम को जगत को दिखाना चाहते थे कि गोपियां मुझसे कितना प्रेम करती है।

Lata

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