Gopashtami: हिंदू धर्म में क्यों दिया गया है गाय को माता का दर्जा ?

Monday, Nov 20, 2023 - 09:27 AM (IST)

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Gopashtami 2023: सर्वप्रथम हमारी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली गौमाता ही हैं। इनकी सेवा से हमारे पाप धुल जाते हैं। गौ माता के सींग की जड़ में ब्रह्मा और भगवान विष्णु का वास होता है। सींग के अग्र भाग में तीर्थ प्रतिष्ठित हैं। देवाधिदेव महादेव स्वयं शिव सींगों के मध्य में प्रतिष्ठित हैं। गौ के ललाट में गौरी, नासिका के अग्र भाग में भगवान कार्तिकेय, नासिका के दोनों पुटों में कंबल तथा अश्वतर ये दोनों नाग प्रतिष्ठित हैं।

गाय के दोनों कानों में अश्विनी कुमार, नेत्रों में चंद्र और सूर्य, दांतों में आठों वासुगण, जिव्हा में वरुण, कंठ में सरस्वती का वास, ओष्ठों में दोनों संध्याएं, ग्रीवा में इंद्र, मौर में राक्षस, पार्षिण भाग में सौरमंडल और जंघाओं में चारों चरणों से धर्म सदा विराजमान रहता है। इनके खुरों के मध्य में गंधर्व, अग्र भाग में सर्प एवं पश्चिमी भाग में राक्षसगण प्रतिष्ठित हैं। गौ के पृष्ठ देश में एकादश रुद्र, सभी संधियों में वरुण, कमर में पितर, कपोलों में मानव तथा अपान में स्वाहा रूप अलंकार को आश्रित कर अवस्थित हैं। आदित्य रश्मियां केश समूहों में पिंडीभूत हो अवस्थित हैं।


गौमूत्र में साक्षात गंगा तथा गौमय में यमुना स्थित हैं। रोम समूह में तैंतीस कोटि देवगण प्रतिष्ठित हैं। अत: यह सिद्ध हो जाता है कि गौ के समान उपकारी जीव मनुष्य के लिए दूसरा कोई नहीं है। गौ माता के मूत्र का सेवन करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। गाय के समान पृथ्वी पर कोई दूसरा धन नहीं।

गौओं की सेवा करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। गऊ के दूध को अमृत माना गया है यही दूध पीकर हम पलते और बढ़ते हैं। गऊ का दूध स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना गया है, गऊ के गोबर से उपले बनते हैं जो जलाने के काम आते हैं, गऊ के गोबर से खाद बनती है जो हमें अन्न देती है।

Niyati Bhandari

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