स्टूडैंट्स कल जेब में रखें ये चीज, परीक्षा में मिलेगी मनचाही सफलता

punjabkesari.in Wednesday, Dec 20, 2017 - 11:41 AM (IST)

कल गुरुवार दि॰ 21.12.17 पौष शुल्क तृतीया, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र व गजकरण के योग वश विष्णु के तीसरे अंश देवर्षि नारद का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। शास्त्रों में नारद को ब्रह्मदेव के सात मानस पुत्रों में से एक माना गया हैं। इनका जन्‍म ब्रह्मा की गोद से हुआ था। खड़ी शिखा, हाथ में वीणा, मुख से 'नारायण' का जाप, पवन पादुका से आकाश मार्ग से मनोवांछित विचरण करने वाले नारद का ऋग्वेद, अथर्ववेद, ऐतरेय ब्राह्मण, मैत्रायणी संहिता, रामायण, महाभारत, पुराण व स्मृतियों में नारद का विवरण उल्लेखित है। शास्त्रनुसार प्रजापति दक्ष ने नारद को श्राप दिया था कि वह दो पल से ज्यादा कहीं रुक नहीं पाएंगे। इसी कारण नारद अक्सर यात्रा करते रहते थे। नारद, देवताओं के ऋषि हैं, तभी तो इन्हें देवर्षि कहते हैं। कठिन तप के बाद नारद को ब्रह्मर्षि पद प्राप्त हुआ था। नारद बहुत ज्ञानी थे, इसी कारण दैत्‍य, देव गंधर्व व राक्षस सभी वर्ग इनका आदर करते थे। श्रीकृष्ण देवर्षियों में नारद को अपनी विभूति बताते हैं। शास्त्रनुसार देवर्षि नारद के विशेष पूजन, उपाय व साधना से पारिवारिक क्लेश समाप्त होते हैंं, स्टूडैंट्स को परीक्षा में सफलता मिलती है व मंदबुद्धियों के बुद्धिबल में वृद्धि होती है।


विशेष पूजन विधि: नारद या विष्णु के चित्र का विधिवत पंचोपचार पूजन करें। पीतल के दिए में घी का दीप करें, सुगंधित धूप करें। हल्दी से तिलक करें। पीले फूल चढ़ाएं, मोतीचूर के लड्डुओं का भोग लगाएं। किसी माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन उपरांत लड्डू किसी ब्राह्मण को दान करें। 


पूजन मुहूर्त: दिन 12:31 से दिन 13:31 तक है। 
पूजन मंत्र: ॐ नमो नारदाय नमः॥


उपाय
परीक्षा में सफलता हेतु नारद पर चढ़ा लाल-सुनहरी पेन जेब में रखें। 

  
पारिवारिक क्लेश से मुक्ति हेतु नारद जी पर चढ़े 2 मौली मेन गेट पर बांधें। 


बुद्धिबल में विकास हेतु नारद पर चढ़ी केसर से नित्य तिलक करें।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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