मेहनत से ही मिलता है अच्छा सौभाग्य

Monday, Jun 10, 2019 - 04:26 PM (IST)

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महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन के आविष्कारों की पूरी दुनिया में धूम मची हुई थी। उनके आविष्कारों ने लोगों का जीवन सुगम बना दिया था। ऐसे ही एक आविष्कार के बाद एडिसन के सम्मान में अमरीका में एक विशाल भोज का आयोजन किया गया। उसमें जाने-माने लोग और पत्रकार आए हुए थे। पत्रकारों को एडिसन से मिलने का अवसर कम ही मिलता था। कारण यह था कि वह हर समय प्रयोगशाला में व्यस्त रहते थे। इस सुदंर अवसर को पत्रकारों ने हाथ से नहीं जाने दिया। मौका मिलते ही पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया और प्रश्न पूछने लगे। उस दिन एडिसन भी प्रसन्न भाव से पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे। एक पत्रकार ने उनसे पूछा, ‘‘सर, आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देते हैं?’’

एडिसन इसका जवाब देते, इससे पहले ही दूसरे पत्रकार ने पूछा, ‘‘सर, हम यह भी जानना चाहेंगे कि क्या आपकी सफलता का कारण भाग्य है?’’

दोनों पत्रकारों के प्रश्न सुनकर एडिसन मुस्कुराते हुए वहां उपस्थित लोगों से बोले, ‘‘आपको क्या लगता है, मेरी सफलता के क्या कारण होंगे?’’

कुछ लोगों ने परिश्रम तो कई लोगों ने उनकी सफलता का श्रेय भाग्य को दिया।

लोगों की बातें सुनकर एडिसन बोले, ‘‘भाग्य क्या है, क्या आप जानते हैं? मैंने तो जहां तक समझा है कि भाग्य एक औंस बुद्धि और एक टन परिश्रम है। हम जब काम में सफल नहीं होते तो अपने दुर्भाग्य का रोना दूसरों के सामने रोते हैं परंतु ऐसा करते समय हम अक्सर भूल जाते हैं कि उसमें हमारे परिश्रम के अभाव का हिस्सा कितना है? यदि व्यक्ति एकाग्रता के साथ मेहनत करे तो उसका भाग्य स्वयं ही अच्छा बन जाता है। परिश्रम और एकाग्रता का स्तर व्यक्ति का सौभाग्य और दुर्भाग्य निर्धारित करता है।’’

उनकी बातें सुनकर वहां उपस्थित पत्रकार एडिसन के परिश्रम की सराहना करते हुए उनके आगे नतमस्तक हो गए।

Lata

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