इसलिए लिया था देवी भगवती ने मां भ्रामरी का अवतार

Wednesday, Jan 31, 2018 - 12:20 PM (IST)

देवी मां ने देवताओं को बहुत से राक्ष्सों से बचाने हेतु कई अवतार धारण किए। इन अवतारों में देवी मां ने अनेकों दैत्यों का संहार किया। इनमें से मां के मुख्य अवतार महाकाली, दुर्गा, चंडी आदि है। लेकिन इन में से एक रूप भ्रामरी देवी का है। जिसकी पौराणिक कथा के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि मां ने ये रूप क्यों और किसके संहार के लिए धारा था। तो आईए विस्तार में जानें इसके बारे में-

 

भ्रामरी देवी का अवतार
प्राचीन समय की बात है, अरुण नामक एक दैत्य था, जिसने ब्रह्मदेव की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मदेव  प्रकट हुए और उसे वर मांगने को कहा, तो अरुण ने यह वरदान मांगा कि कोई मुझे कोई युद्ध में मार न सके, किसी शस्त्र से मेरी मृत्यु न हो, समस्त स्त्री-पुरुष के लिए मैं अवध्य रहूं, न कोई दो-चार पांव वाला प्राणी मेरा वध कर सके और मैं समस्त देवताओं पर विजय प्राप्त कर सकूं।

 

ब्रह्माजी ने उसे यह सारे वरदान दे दिए। वर पाकर अरुण ने देवताओं से स्वर्ग छीनकर उस पर अपना अधिकार कर लिया। सभी देवता घबराकर भगवान शंकर के पास गए। तभी आकाशवाणी हुई कि सभी देवता देवी भगवती की उपासना करें, वे ही उस दैत्य को मारने में सक्षम हैं। आकाशवाणी सुनकर सभी देवताओं ने देवी की घोर तपस्या की। प्रसन्न होकर देवी ने देवताओं को दर्शन दिए। उनके छह पैर थे। वे चारों ओर से असंख्य भ्रमरों (एक विशेष प्रकार की बड़ी मधुमक्खी) से घिरी थीं। उनकी मुट्ठी भी भ्रमरों से भरी थी।

 

भ्रमरों से घिरी होने के कारण देवताओं ने उन्हें भ्रामरी देवी के नाम से संबोधित किया। देवताओं से पूरी बात जानकार देवी ने उन्हें आश्वस्त किया तथा भ्रमरों को अरुण को मारने का आदेश दिया। पल भर में भी पूरा ब्रह्मांड भ्रमरों से घिर गया। कुछ ही पलों में असंख्य भ्रमर अतिबलशाली दैत्य अरुण के शरीर से चिपक गए और उसे काटने लगे। अरुण ने काफी प्रयत्न किया लेकिन वह भ्रमरों के हमले से नहीं बच पाया और उसने प्राण त्याग दिए। इस तरह देवी भगवती ने भ्रामरी देवी का रूप लेकर देवताओं की रक्षा की।

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