घर में चल रही है परेशानी या ग्रह कर रहे हों मनमानी, करें मुट्ठी में...

Thursday, Dec 08, 2016 - 09:52 AM (IST)

वेद-पुराणों द्वारा प्रतिपादित ज्योतिष शास्त्र में पूरे नवग्रह श्रीकृष्ण की ही परिक्रमा लगाते हैं। ‘श्रीगोपाल सहस्र नाम’ में तो स्पष्ट लिखा है कि महाक्रूर ग्रह भी श्रीकृष्ण के भक्तों को कष्ट पहुंचाना तो दूर, उन्हें छू भी नहीं सकते। श्रीकृष्ण का धरा पर प्राकट्य पवित्र भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। यह रोहिणी चंद्रमा का नक्षत्र है। अत: जिस व्यक्ति का भी जन्म अष्टमी तिथि या रोहिणी नक्षत्र में हुआ है, उन्हें अनिवार्य रूप से श्रीकृष्ण की आराधना करनी ही चाहिए।


साथ ही जन्म नक्षत्र पाया ‘सोना’ होने से सोने के पाए में जन्मने वाले सभी जातकों को श्रीकृष्ण की नियमित पूजा-अर्चना करनी चाहिए। जिन लोगों का जन्म अमावस्या के आसपास हुआ हो या जिनकी जन्मपत्री में चंद्रमा क्षीण हो, उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए क्योंकि पराशर मुनि ने श्रीकृष्ण को चंद्र का अवतार ही माना है-
चन्द्रस्य यदुनायक: चाहिए।


प्रत्येक एकादशी को तो अनिवार्य रूप से गीता पाठ करना ही चाहिए। प्रेतशांति व पितृदोष निवारण के लिए भी श्रीकृष्ण चरित्र की कथा श्रीमद्भागवत महापुराण का व गजेंद्र मोक्ष का पाठ पौराणिक विद्वान ब्राह्मणों से सात दिन में करवाना चाहिए। गृह शांति व सभी ग्रहों द्वारा किए जा रहे सर्वविध उपद्रव शमनार्थ 


ॐ नमो भगवते वासुदेवाय


मंत्र की 1008 आहुतियां देनी चाहिएं। यह मंत्र प्राय: सभी ग्रहों की शांति के लिए उपयोग में लाया जाता है। घर में चल रही हो परेशानी या ग्रह कर रहे हों मनमानी तो आपकी दोनों समस्याओं का हल करेगा उपरोक्त लिखित मंत्र।
 

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