मानो या न मानो: भूत-पिशाच जैसी शक्तियों को भी बनाया जा सकता है दास

Thursday, Jul 25, 2019 - 09:15 AM (IST)

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तंत्र का नाम सुन कर ज्यादातर लोग या तो अंधविश्वास मानकर नकार देते हैं या फिर कोई डरावनी चीज़ मानकर उससे दूर रहने की सलाह देते हैं। लेकिन यह एक विज्ञान है, जिसमें लोगों ने कल्पना के साथ काम करना शुरू किया और एक ऐसे स्तर तक किया कि आप चाहें तो एक पूरा संसार रच सकते हैं। तंत्र विज्ञान का क्षेत्र असीम संभावनाओं से भरा पड़ा है। इसके अनुसार दुनिया में ऐसा कुछ नहीं जिसे असंभव कहा जा सके। तंत्र की दुनिया ही ऐसी है जहां कुछ भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक से बढ़कर एक विधान और अचूक प्रयोगों के पीछे छुपे हैं कई अविश्वसनीय रहस्य, आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय और रहस्यमयी साधनाओं को जिनमें भूत-पिशाच जैसी शक्तियां इंसान की दास हो जाती हैं।

साधना के नियम
ये सभी साधनाएं एकांत में या किसी विशेष स्थान पर की जाती हैं।

गुरु के बिना इस तरह की साधनाएं नहीं की जाती हैं।

साधना में साफ-सफाई रखना और ब्रह्मचर्य का पालन बहुत जरूरी होता है।

साधना में खुद के हाथों से बना भोजन ही करना होता है।

चमड़े के सामानों का उपयोग करना पूरी तरह वर्जित होता है।

साधना के दौरान मांस, मदिरा व किसी भी तरह का नशा करने पर साधना फलीभूत नहीं होती है।

ये परिस्थितियां प्रेत पीड़ा का अवसर बनाती हैं-
गंदा रहना, स्नान न करना, गंदे वस्त्र पहनना, गंदे स्थान पर निवास, झोंपड़ी बनाना, रास्ते चलते खाना, खाने के बाद हाथ-मुंह न धोना।

खाली मकान, गंदे स्थान, एकांत स्थान, पीपल के पेड़ के पास, अकौड़े के पौधे के पास जाना, रहना या इन स्थानों का गंदगी करके अपमान करना। 

इत्र, सुगंधित पदार्थ लगाकर या लेकर बाहर निकलना, राह चलते मीठी वस्तु खाते रहना- ये वस्तुएं प्रेत को शीघ्र आकर्षित करती हैं क्योंकि उसे ये वस्तुएं बहुत पसंद हैं।

किसी सुंदर स्त्री या पुरुष के बन-ठन कर घूमने-फिरने जाना तथा एकांत स्थान से दोपहर अथवा संध्या समय निकलना। इससे विपरीत लिंग का प्रेत आकर्षित होकर अपनी मृत्यु के समय अतृप्त काम पिपासा को शांत करना चाहता है।

नोट : भूत, प्रेत और पिशाच हर समय, हर किसी को पीड़ित नहीं करते क्योंकि प्रेत संसार के भी कुछ नियम होते हैं। वे पूजा-पाठ करने वाले, सदाचारी, पवित्रात्मा व्यक्ति को, ईश्वर भक्त को कभी भी पीड़ित नहीं करते। वे हत्यारे, अपराधी, डाकू, चोर, ठग, जीव हिंसक को भयंकर पीड़ा पहुंचाते हैं।


 

Niyati Bhandari

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