Gemstones: विज्ञान ने भी माना रत्न पहनने से दूर होते हैं रोग

Friday, May 08, 2020 - 02:35 PM (IST)

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Gemstones: वर्तमान समय में विश्व के सामने चिंतनीय समस्या मानव में रोगों की वृद्धि की है। आजकल का प्रदूषित वातावरण एवं मानव का रहन-सहन मानव जाति के विचारों को दूषित करने के साथ-साथ अनेक रोगों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण है। अनेक असाध्य एवं भयानक रोग मानव के स्वास्थ्य को नष्ट कर रहे हैं। अनेक बुद्धिजीवियों और चिकित्सकों ने अपनी रिसर्च में देखा कि रत्नों में रोगों से लड़ने की अपूर्व क्षमता है।

विश्व के अनेक चिकित्सक रत्नों की गुणवत्ता एवं उनकी भस्मों का प्रयोग रोगों को दूर करने के लिए औषधियों के रूप में करते हैं। आजकल का वैज्ञानिक अनुसंधानों के द्वारा रत्नों के महत्व को स्वीकारने लगा है। इन सभी रत्नों में सोलह प्रकार के तत्व न्यूनाधिक मात्राओं में विद्यमान हैं।  जैसे कार्बन, बेरियम, एल्युमीनियम, कैल्शियम, तांबा, हाइड्रोजन, लोहा, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटाशियम, गंधक, सोडियम, टिन, जस्ता, जिंकोनियम आदि।

 


चौरासी प्रकार के रत्नों में दस प्रकार के रत्न प्रमुख हैं। हीरा, मोती, माणिक, पन्ना, पुखराज, नीलम, लहसुनिया, गोमेद, फिरोजा एवं मूंगा आदि। आकाश मंडल में भ्रमण कर रहे ग्रह अपने सम्मुख ताप तथा किरणों (रश्मियों) में रत्नों में उपर्युक्त तत्वों की प्रमुखता को दर्शाते हैं और यही रत्न ग्रहों एवं रोगों, जलवायु प्रदूषण आदि दूर करने के लिए प्रबल क्षमता रखते हैं।



हीरा : हीरा शुक्रवार को चांदी में धारण करने से शरीर के किसी भी भाग में जलन (गर्मी), जादू-टोना, भूत-प्रेत बाधा, गले के रोग, अजीर्ण, वायु प्रकोप, मुख के रोग, पेशाब विकार आदि रोग दूर होते हैं।

मोती : मोती को धारण करने से पेट संबंधी रोग, लिवर, किसी प्रकार की सूजन, अनिद्रा, मानसिक रोग, मूत्र रोग, खून की कमी एवं निर्बलता, आंखों के रोग, प्रदर रोग, रक्त का अधिक प्रवाह और फेफड़ों एवं हार्ट संबंधी रोग अवश्य दूर होते हैं। रत्न को सोमवार के दिन सुबह सूर्योदय से पहले पहनें।

माणिक : इस रत्न के द्वारा रक्त विकार, पित्त विकार, हृदय रोग और नेत्र रोग दूर होते हैं। सोने में इस रत्न को धारण करें।

पन्ना : पन्ना धारण करने से उन्माद (पागलपन), मस्तिष्क रोग, मुख के रोग, आंतों की सूजन,  श्वास रोग, चर्म रोग, झक्कीपन का रोग आदि दूर होते हैं। इस रत्न को सोने में ही पहनना चाहिए।

वैदूर्य : वैदूर्य धारण करने से साधना में उच्चारण, मिर्गी, वात रोग, व्यापार में हानि, आधे सिर में दर्द, पागलपन का दौरा एवं चर्म रोगों में लाभ मिलता है।

 नीलम : इसे खांसी, उल्टी, वायु विकार, ब्लड प्रैशर, रक्त विकार, विषम ज्वर, नपुंसकता, अनिद्रा, वात रोग, वात अस्ति पीड़ा, घुटनों एवं जोड़ों में दर्द, मिर्गी, मूर्छा, भूत-प्रेत बाधा, गैस की बीमारी, बिजली का प्रभाव, जहरीले जीवों के मृत्युकारक प्रभाव को कम करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।


पुखराज : पुखराज धारण करने से दांत एवं मुख की दुर्गंध, अजीर्ण आत्मदाह, खून की कमी, प्रदर, मस्तिष्क एवं आंख के रोग, वादीपन, बवासीर, पीलिया, जिगर की खराबी, ब्लड प्रैशर, पक्षाघात आदि अनेक रोग दूर होते हैं। इसे सोने में गुरुवार को धारण करना चाहिए।

गोमेद : गोमेद धारण करने से दांतों के रोग, कामवासना बहकाव, तिल्ली, उपदंश, हैजा, प्रमेह, फोड़ा, शूल रोग, गर्मी, ज्वर, कमरदर्द, घुटनों के रोग, पीलिया आदि रोगों में फायदा होता है।

लहसुनिया : लहसुनिया धारण करने से अंडकोष वृद्धि पीड़ा, रक्त विकार, मासिक धर्म की गड़बड़ी, श्वेत प्रदर (लिकोरिया) आदि रोगों में फायदा होता है।

फिरोजा : फिरोजा धारण करने से गुल्म रोग, शूल रोग, मानसिक दुर्बलता, बवासीर, भगंदर आदि भयानक रोगों में फायदा होता है।

लाल मूंगा : लाल मूंगा धारण करने  से पेट, हड्डियों एवं मज्जा से संबंधित रोग, रक्त विकार, अंडकोष वृद्धि, आमाशय रोग, नेत्र रोग, आंतों के रोग, गांठ पडऩा (पत्थरी रोग), कुष्ठ रोग, गुप्त रोग, वंध्या रोग, अतिरज रोग, हृदय रोग, श्वेत प्रवाल एवं टी.बी. आदि रोगों में आराम होता है। इसे सोने एवं चांदी की अंगूठी में बनवाकर पहनना चाहिए।

शराब छुड़ाने के लिए मूंगा सोने की अंगूठी में धारण करें, शादी में बाधाओं से मुक्ति के लिए पुखराज की अंगूठी एवं रुद्राक्ष की माला उपयोगी होती है। हिस्टीरिया एवं हाई ब्लड प्रैशर के रोगों को दूर करने के लिए रुद्राक्ष की माला पहनना श्रेष्ठ होता है।

Niyati Bhandari

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