गीता जंयती के दिन करेंगे इन मंत्रों का जप तो मिलेगा पुण्य

Thursday, Dec 24, 2020 - 05:02 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
25 दिसंबर यानि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी तथा गीता जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस दोनों  ही पर्वों का हिंदू धर्म में अधिक महत्व है। मोक्षदा एकादशी के दौरान जहां श्री हरि विष्णु की पूजा का विधान होता है तो वहीं इस दिन श्री कृष्ण की आराधना भी की जाती है। ऐसे में इनके मंत्रों का जप करना भी काफी लाभदायक होता है। इस कड़ी में हमने आपको पहले भी इनके कुछ मंत्रों के बारे में बताया जिनका जप करने वाले व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। चूंकि गीता जंयती का पर्व कल मनाया जाएगा इसलिए हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से बताने वाले हैं अन्य और मंत्र जिनका उच्चारण करना आपके लिए शुभ साबित होगा। 

हर दंपत्ति की यह कामना होती है कि उनको शीघ्र संतान की प्राप्ति हो जाए, और संतान सुंदर व सुशील हो। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस कामना को पूरा करने में मददगार होते हैं निम्न मंत्र। कहा जाता है इन मंत्रों का जप करने वाली विवाहित जोड़े को इच्छानुसार संतान की प्राप्ति होती है। 

मंत्र- सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। 
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच।।

इसके अलावा कहा जाता है जिनके कुंडली में किसी न किसी कारण वश संतान प्राप्ति न हो रहो हो उन्हें अपनी कुंडली में बुध और गुरु की स्थिति को मज़बूत करने के लिए पति-पत्नी को तुलसी की शुद्ध माला से ह्रदय से पावन होकर नीचे दिए गए मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। 

मंत्र- देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते। 
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।


यूं तो सनातन धर्म में कहा गया है कि हर व्यक्ति को कोई न कोई गुरु धारणा चाहिए। मगर जिस व्यक्ति का कोई गुरु न हो या वह किसी पारंपरिक वैदिक संप्रदाय में दीक्षित न हो, उसे आगे दिए मंत्र का जाप करना चाहिए। 

मंत्र- वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। 
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरूम्।।

जिन लड़कियों के विवाह होने में देरी हो रही हो, उन कन्याओं को श्री कृष्ण से सुंदर वर पाने के लिए माता कात्यायनी के इस मंत्र का जप करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में श्री कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए समस्त गोपियों ने इसी मंत्र का जप किया था। 

मंत्र- कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। 
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरू ते नम:।।

Jyoti

Advertising