गायत्री जयंती के अवसर पर करें इस तरह से मां को प्रसन्न

Tuesday, Jun 11, 2019 - 04:33 PM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार गायत्री जयंती का पर्व ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाएगी, जोकि 13 जून दिन गुरुवार को पड़ रही है। कुछ मान्यताओं के अनुसार इसे श्रावण पूर्णिमा के समय भी मनाया जाता है। चारों वेद, पुराण और श्रुतियां गायत्री से उत्पन्न हुए हैं, इसलिए इन्हें वेदमाता भी कहा गया है। वेदों में मां गायत्री को आयु, प्राण, शक्ति, कीर्ति, धन और ब्रह्म तेज प्रदान करने वाली देवी भी कहा गया है। कहते हैं कि गायत्री मंत्र का प्रतिदिन उच्चारण करने से व्यक्ति को मन की शांति के साथ-साथ सभी कष्टों का निवारण होता है। 

अगर हम बात करें धार्मिक ग्रंथों के बारे में तो मां गायत्री को ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों स्वरुपों में माना जाता है और त्रिमूर्ति मानकर ही इनकी उपासना भी की जाती है। इन्हें भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी के रूप में भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा जी के मुख से गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था। मां गायत्री की कृपा से ब्रह्माजी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या अपने चारों मुखों से चार वेदों के रूप में की थी। आरम्भ में गायत्री की महिमा सिर्फ देवताओं तक ही थी, लेकिन महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तपस्या कर माता की महिमा अर्थात गायत्री मंत्र को जन-जन तक पहुंचाया।

एक प्रसंग के मुताबिक एक बार ब्रह्माजी ने यज्ञ का आयोजन किया। परंपरा के अनुसार यज्ञ में ब्रह्माजी को पत्नी सहित ही यज्ञ बैठना था, लेकिन किसी कारणवश ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री को आने में देर हो गई। यज्ञ का मुहूर्त निकला जा रहा था, इसलिए ब्रह्मा जी ने वहां मौजूद देवी गायत्री से विवाह कर लिया और उन्हें अपनी पत्नी का स्थान देकर यज्ञ प्रारम्भ कर दिया और उसे पूरा किया।

कहते हैं कि जैसे फूलों में शहद, दूध में घी होता है, वैसे ही समस्त वेदों का सार देवी गायत्री है। यदि गायत्री को सिद्ध कर लिया जाए तो यह समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने वाली कामधेनु गाय के समान माना गया है। 

Lata

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