Gautam Buddha Story: भगवान बुद्ध से जानें, किस तरह ढूंढे अपनी समस्या का समाधान

Thursday, Feb 29, 2024 - 09:55 AM (IST)

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Gautam Buddha Story: बहुत से भिक्षुक भगवान बुद्ध का प्रवचन सुनने के लिए बैठे थे। बुद्ध के शिष्य उन्हें देखकर चकित थे क्योंकि पहली बार वह अपने हाथ में कुछ लेकर आए थे। निकट आने पर शिष्यों ने देखा कि उनके हाथ में एक रस्सी थी। बुद्ध ने आसन ग्रहण किया और बिना किसी से कुछ कहे वह रस्सी में गांठ लगाने लगे।

वहां उपस्थित सभी लोग यह देखकर सोच रहे थे कि अब भगवान बुद्ध आगे क्या करेंगे।



तभी बुद्ध ने सभी से एक प्रश्न किया, “मैंने इस रस्सी में 3 गांठें लगा दी हैं, अब मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि क्या यह वही रस्सी है जो गांठें लगाने से पहले थी ?”

एक शिष्य ने कहा, “गुरु जी इसका उत्तर देना थोड़ा कठिन है। यह वास्तव में हमारे देखने के तरीके पर निर्भर है। एक दृष्टिकोण से देखें तो रस्सी वही है, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। दूसरी तरह से देखें तो अब इसमें तीन गांठें लगी हुई हैं जो पहले नहीं थीं; अत: इसे बदला हुआ कह सकते हैं।

सत्य है ! बुद्ध ने कहा, “अब मैं इन गांठों को खोल देता हूं। यह कहकर बुद्ध रस्सी के दोनों सिरों को एक-दूसरे से दूर खींचने लगे।”

उन्होंने पूछा, “तुम्हें क्या लगता है इस प्रकार इन्हें खींचने से क्या मैं इन गांठों को खोल सकता हूं ?”

“नहीं-नहीं ऐसा करने से तो ये गांठें तो और भी कस जाएंगी और तथा खोलना और भी मुश्किल हो जाएगा।” एक शिष्य ने शीघ्रता से उत्तर दिया।



बुद्ध ने कहा, “ठीक है अब आखिरी प्रश्न का उत्तर दो इन गांठों को खोलने के लिए हमें क्या करना होगा ?”

शिष्य बोला, “इसके लिए हमें इन गांठों को गौर से देखना होगा ताकि हम जान सकें कि इन्हें कैसे लगाया गया था और फिर हम इन्हें खोलने का प्रयास कर सकते हैं।”

बुद्ध बोले, “मैं यही सुनना चाहता था।” मूल प्रश्न यही है कि जिस समस्या में तुम फंसे हो, वास्तव में उसका कारण क्या है। बिना कारण जाने निवारण असंभव है। मैं देखता हूं कि अधिकतर लोग बिना कारण जाने ही निवारण करना चाहते हैं।

कोई मुझसे यह नहीं पूछता कि मुझे क्रोध क्यों आता है, लोग पूछते हैं कि मैं अपने क्रोध का अंत कैसे करूं ?

कोई यह प्रश्न नहीं करता कि मेरे अंदर अहंकार का बीज कहां से आया, लोग पूछते हैं कि मैं अपना अहंकार कैसे खत्म करूं ?  

यह सुनते ही शिष्य संतुष्ट हो गए।


 

Prachi Sharma

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