शिव जी को पाने के लिए यहां किया था देवी पार्वती ने कठिन तप

Tuesday, Feb 18, 2020 - 06:10 PM (IST)

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हिंदू धर्म से संबंध रखने वाला शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिस ये नहीं पता होगा कि देवों के देव महादेव को पाने के लिए देवी पार्वती ने कितना कठिन तप किया था। तमाम धार्मिक शास्त्रों में इनके विवाह के प्रस्ताव से लेकर इनके विवाह समापन तक की कथाएं वर्णित हैं। मगर क्या आपको ये पता है कि इसमें कुछ एक ऐसी भी जगह का उल्लेख मिलता है जहां पर देवी पार्वती ने शिव जो पाने के लिए कठिन तप किया था। यानि वो जगह जो शिव जी के लिए देवी पार्वती के असीम प्यार का प्रमाण है। तो अगर आपके मन में इस जगह को जानने की इच्छा है तो, ठहरिए ठहरिए आपको इसके लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि हम आपके लिए इससे जुड़ी सारी जानकारी लेकर आएं हैं। जी हां, इसके बारे में जानने के लिए  आपको ज्यादा कुछ नहीं बस हमारे द्वारा दी गई जानकारी तो पढ़ना होगा। जिस में हम आपको बताएं उस रहस्यमयी जगह के बारे में जहां कभी देवी-पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए घोर तप किया था। 

यहां की थी माता पार्वती नें कठिन तपस्या
पौराणिक कथाओं में किए उल्लेख के अनुसार शिव जी भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने जहां तपस्या की थी वो जगह केदारनाथ के पास स्थित गौरी कुंड के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है गौरी कुंड नामक ये जगह बहुत ही प्रसिद्ध व प्रभावी जगह मानी जाती है। इस जगह की सबसे खास बात ये है यहां का पानी सर्दी में भी गर्म रहता है। कथाओं के अनुसार जब माता गौरी नें अपनी तपस्या पूरी की उसके बाद उन्होंने गुप्तकाशी में शिव जी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था जो उन्होंने स्वीकार कर लिया था। जिसके बाद रुद्रप्रयाग जिले में भगवान शिव और माता पार्वती की शादी संपन्न हुई थी। 

यहां हुई थी भगवान शिव और माता पार्वती की शादी
रुद्रप्रयाग जिले का एक गांव है त्रिर्युगी नारायण। यहां की सबसे प्रबल मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हिमालय के मंदाकिनी इलाके में त्रियुगीनारायण गांव में ही हुआ था। जहां आज भी इनके विवाह की पवित्र अग्नि जलती रहती है। कहा जाता है कि त्रेतायुग से लगातार जल रही इस अग्नि के समक्ष  भगवान शिव ने मां पार्वती के साथ फेरे लिए थे। ऐसा कहा जाता है कि विवाह में भाई की सभी रस्में भगवान विष्णु ने तथा पंडित की रस्में ब्रह्माजी ने पूरी की थीं। इसके अलावा विवाह में बहुत महान तपस्वी, ऋषि-महर्षि भी शामिल हुए थे।

Jyoti

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