Gaumukhi plot vastu: गौमुखी भवन में रहने वाले होते हैं धनवान, पढ़ें खास जानकारी

Friday, Dec 17, 2021 - 09:07 AM (IST)

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Gomukhi plot good or bad: महार्षि भृृगु जी व माता पोलमा के पुत्र विश्वकर्मा जी ने वास्तु विज्ञान को लेकर विभिन्न सिद्धांतों का उल्लेख किया है। जिसमें कि गौमुखी भवन व प्लॉट के उल्लेख पर विशेष जोर दिया गया है। जिन भवनों, प्लॉट, फ्लैट या संस्थान इत्यादि का मुख्य फ्रंट चौड़ाई में कम व पीछे से चौड़ाई ज्यादा होती है उसे गौमुखी कहा जाता है। इसकी आकृति गाय की ही तरह आगे से कम और पीछे से ज्यादा होती है इसी ही कारण इस आकृति को वास्तु विज्ञान में गौमुखी कहा गया है। वास्तु विज्ञान सिद्धांत के अनुसार जो भी गौमुखी रिहायशी भवन होते हैं, उनमें निवास करने वाले सुखी व खुशहाल हो जाते हैं। अगर गौमुखी निवास किसी वास्तु विज्ञान व निवास करने वाले की जन्म कुण्डली में ग्रहों की स्थिति के अनुरूप बनाये जाते हैं तो उसमें निवास करने वाले व्यक्तियों का जीवन खुशहाल होने के योग बन जाते हैं। वैसे आयताकार/वर्गाकार प्लॉट इत्यादि भी रिहायशी व व्यापारिक गतिविधियों के लिये शुभ माने गये हैं।


गौमुखी मकान या प्लॉट ज्यादा अच्छा माना जाता है। उसके पीछे के कई कारण है परन्तु उसके पीछे का आधुनिक विज्ञान क्या है आईये इसे समझने की कौशिश करते हैं

इसके पीछे का एक वैज्ञानिका सिद्धांत यह है कि हमारी पृथ्वी अपनी ऐक्सिज पर पश्चिम से पूर्व दिशा की तरफ घूमती है और उदाहरण के तौर पर आपका घर पूर्व दिशा का गौमुखी मकान है तो आपके घर पर पूर्व दिशा की तरफ होने के कारण पूर्व दिशा की उर्जा व एक हवा का प्रैशर हमेशा ही रहेगा क्योंकि जो वस्तु आगे की और भागती है तो हवा के प्रैशर से टकराव होता है व उस पर उस टकराव का प्रभाव अवश्य पड़ता है। जिस प्रकार आप साईकिल चला रहे हैं तो हवा का प्रैशर आपके आगे के भाग पर अर्थात सिर पर या आगे की बॉडी पर पड़ेगा तो आप स्वयं को उस प्रैशर के अनुकूल बनाने के लिये शरीर व सिर को हवा के प्रैशर के अनुरूप ढ़ाल लेते हैं ताकि उस प्रैशर का प्रभाव आप पर कम से कम पड़े। इसी सिद्धांत के अनुसार ही हाई स्पीड बुलेट ट्रेन हवाई जहाज के आगे की शेप नुकीली बनायी जाती है ताकि हवा के प्रैशर को काटकर आगे की तरफ बढ़ने में अनुकूलता हो सके।

इसी प्रकार जो व्यक्ति गौमुखी घर में रहेगा उसके शरीर, मन व विचारों पर इन दिशाओं के टकराव के कारण उसके स्वभाव व शरीर पर भी सूक्ष्म रूप से दिशाओं की उर्जाओं का प्रभाव पड़ते-पड़ते उसके परिणाम भयंकर भी हो सकते हैं और शुभ भी। जैसे कि गौमुखी भवन में रहने वाले का स्वभाव एवं विचार भी गाय की तरह नरमाई देने व दूसरों को सुखी प्रदान करने वाला हो जात है और जो घर का स्वामी होगा उसके स्वभाव में हर समय विनम्रता का वास हो जाता है। गाय में सभी देवी देवताओं का वास माना गया है उसी ही प्रकार से गौमुखी भवन में भी सभी देव आत्माओं की सकारातमक उर्जा का प्रवाह बना रहता है। पूर्व दिशा का गौमुखी भवन सदा सकारात्मकता, अच्छा स्वास्थ्य लाभ, स्वस्थ विचार व सकारात्मकता का ही माहौल उत्पन्न करता है। गौमुखी भवन अगर उत्तर दिशा का है तो वह धन लाभ के साथ-साथ उस धन का ठहराव भी करवाकर उसका पूर्ण सुख भोगने का भी अवसर प्रदान करता है। गौमुखी भवन जो कि एक विशेष अनुपात में ही गौमुख आकृति में हो यह तभी ही पूर्णफलदायी रहता है।


वैसे अगर व्यावसायिक कार्यों के लिये गौमुखी प्लॉट का प्रयोग किया जाये तो यह बेहतर परिणाम देता है। गौमुखी दुकान, फैक्टरी, कार्यालय, बैंक सभी प्रकार के सर्विस प्रौवाईडिंग कार्य इत्यादि सभी रोजगार के कार्यों के लिये शुभ ही माने गये हैं। गौमुखी भवनों के स्वामी की पर्सनालिटी में एक सॉफ्टनेस का प्रभाव विकसित हो जाता है। जिसका उपयोग अगर वह अपने कलाइंटस/ग्राहकों पर अनुकूलता से करता है तो वह स्वयं को उन पर हैवी महसूस करता है तथा अपने मनअनुरूप उनसे अपना कार्य भी ले लेता है एवं बड़े से बड़ी डील जो कि उसको उसकी नरम स्वभाव की वजह से प्राप्त हो जाती है तथा अपने रोजगार में इजाफा महसूस करता है।

इसी के साथ-साथ अलग-अलग दिशाओं के सिंहमुखी भवनों चाहे व आवासीय हों या व्यावसायिक उनका जातको के ग्रहों की अनुकूलता के हिसाब से ही प्रभाव पड़ता है। जो किसी प्रबुद्ध ज्योतिष वैज्ञानिक से ही सलाह लें क्योंकि बिना ग्रहों की पूर्ण जानकारी के वास्तु कम्पलीट नहीं हो सकता क्योंकि वास्तु विज्ञान जो कि ज्योतिष विज्ञान की भवनों के निर्माण संबंधित एक छोटी सी शाखा ही है।


Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

Niyati Bhandari

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