गाय वास्तु दोष खत्म करने के साथ-साथ देती है ढेरों लाभ

Tuesday, Nov 21, 2023 - 07:58 AM (IST)

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काबुल जीतने के बाद मुगल सम्राट जहांगीर अब्दुर्रहीम खानखाना के पराक्रम को देखकर बहुत खुश थे। उन्होंने खानखाना से कहा, ‘‘युद्ध में आपकी वीरता से मैं बहुत खुश हूं, बताइए ईनाम में आपको क्या चाहिए?’’

सुनकर खानखाना सोच में पड़ गए और धीरे से बोले, ‘‘जहांपनाह अगर आप मुझसे प्रसन्न हैं तो आपके राज्य में गौहत्या कभी न हो।’’

जहांगीर ने हैरत से पूछा, ‘‘अरे रहीमजी आपने यह क्या मांगा! न धन, न पद, न जागीर और गौरक्षा की भीख मांग ली।’’

खानखाना ने जवाब दिया, ‘‘जहांपनाह! गाय से ज्यादा पूज्य हमारी संस्कृति में क्या है। उसकी रक्षा होने पर ही हमारा अस्तित्व और सांस्कृतिक अस्मिता बरकरार रहेगी।’’

तभी से जहांगीर ने अपने राज्य में गौहत्या पर पाबंदी लगा दी। हमारे शास्त्रों में गौ, गंगा, गीता और गायत्री का महत्वपूर्ण स्थान है।  ये चारों मानव जाति का कल्याण करने वाली और सतमार्ग पर प्रतिष्ठित करने वाली माताएं हैं। आदर्श हिंदू इन चारों माताओं की पूजा करता है। प्राचीन आर्यों ने गाय को ‘मातेव रक्षति’ अर्थात गाय माता हमारी रक्षा करें और सभी इच्छाओं की पूर्ति करें, भगवान श्री कृष्ण ने इस आदर्श को अपने जीवन में अपनाकर हमें गाय की सेवा करने की प्रेरणा दी।

जिस स्थान पर गाय सुखपूर्वक निवास करती है वहां की रज पवित्र हो जाती है क्योंकि गाय के रोम-रोम में सतयुग का दिव्य तत्व विद्यमान है। तीर्थ स्थानों में जाने से, ब्राह्मणों को भोजन कराने से, व्रत उपवास करने से, पृथ्वी की परिक्रमा करने से मनुष्य को जो फल मिलते हैं वे सभी पुण्य गायों की सेवा करने मात्र से तत्काल मिल जाते हैं।  गौरक्षा के लिए दिए गए दान का फल कई गुना अधिक हो जाता है। गौ सर्वदा पूजनीय, पालनीय सभी प्रकार से हितकारी है। गौवध पूर्ण रूप से बंद होना चाहिए तथा गौहत्या करने वालों पर कठोर दंड विधान होना चाहिए।

प्रसिद्ध वास्तु ग्रन्थ समरांगण सूत्र में कहा गया है, जब किसी नए भवन को बनाने का शुभारंभ करें तो वहां सबसे पहले ऐसी गाय को लाकर बांधें, जिसका बछड़ा हो। जब गाय माता नवजात बछड़े को प्रेम करती है, उसे चाटती है, तो उसके मुंह से निकला थूक यानि फैन जब धरती पर गिरता है तो वे भूमी पवित्र हो जाती है। उस स्थान के सभी दोष स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।

महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार गाय माता जिस स्थान पर बैठकर निर्भयतापूर्वक सांस लेती हैं। उस जगह के सभी पापों का नाश हो जाता है। वहां किसी भी तरह का वास्तु दोष नहीं रहता।

 

 

Niyati Bhandari

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