क्यों मृत्यु के बाद करवाया जाता है गरुड़ पुराण का पाठ?

Tuesday, Nov 10, 2020 - 03:57 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
गरुड़ पुराण एक ऐसा शास्त्र हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि, इस पुराण में अधिकतर बातें मृत्यु से संबंधित दी गई हैं। इस शास्त्र के अधिष्ठात्र देव की बात करें, तो वो भगवान विष्णु हैं तथा इस ग्रंथ का नाम इन्हीं के वाहन गरुड़ जी के ऊपर रखा गया है। शास्त्रो में इन्हें विनायक, गरुत्मत्, तार्क्ष्य, वैनतेय, नागान्तक, विष्णुरथ, खगेश्वर, सुपर्ण और पन्नगाशन आदि जैसे नामों से भी जाना जाता है। कहा जाता है गरूड़ देवता को न केवल सनातन धर्म जिस आज कल हिंदू धर्म के नाम से भी जाना जाता में ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म में भी व खास पक्षी माना जाता है। बौद्ध धर्म की मान्यताओं के अनुसार गरूड़ को सुपर्ण यानि अच्छे पंख वाला पक्षी माना जाता है। तो वहीं जातक कथाओं में भी गरूड़ के बारे में कई कहानियां वर्णित है।  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो घर में गरुड़ का पाठ किया जाता है। चलिए आज आपको थोड़ा विस्तापूर्वक बताते हैं कि गरुड़ पुराण क्या है, साथ ही साथ जानेंगे कि आखिर क्यों मृत्यु के बाद क्यों घर में गरुड़ का पाठ रखा जाता है।

क्या है गरुड़ पुराण:
धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार गरुड़ देव ने भगवान विष्णु से, प्राणियों की मृत्यु, यमलोक यात्रा, नरक-योनियों तथा सद्गति के बारे में अनेक गूढ़ और रहस्ययुक्त प्रश्न पूछे। इन प्रश्नों का भगवान विष्णु ने सविस्तार उत्तर दिया। कहा जाता है इन प्रश्न और उत्तर की माला से ही गरुढ़ पुराण निर्मित हुआ था। कहा जाता है इस पुराण में व्यक्ति के कर्मों के आधार पर दंड स्वरूप मिलने वाले विभिन्न नरकों के बारे में बताया गया है। इतना ही नहीं गरुड़ पुराण के अनुसार कौन सी चीज़ें व्यक्ति को सद्गति की ओर ले जाती हैं भगवान विष्णु इसमें इस बार में भी बताय गया है। जिनके बारे में जानना मनुष्य के लिए जानना बेहद ज़रूरी होता है।

मृत्यु के उपरांत क्यों सुनाते हैं गुरुड़:   
कहा जाता है सनातन धर्म में गरुड़ पुराण में, मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है। आज इस आर्टिकल में हम आपको इसी बारे में बताने वाले हैं। अक्सर आप में से कई लोगों ने देखा सुना होगा कि जब भी किसी व्यक्ति की मौत होते है तो उस व्यक्ति के परिजन घर में 13 दिन तक गरुड़ का पाठ रखते हैं। दरअसल शास्त्रों के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तब आत्मा तत्काल ही दूसरा जन्म धारण कर लेती है। इस संदर्भ में कहा जाता है कि इस दौरान किसी को 3 दिन लगते हैं, किसी को 10 से 13 दिन लगते हैं और किसी को सवा महीना भी लगते हैं। पंरतु जिन किसी की स्मृति पक्की, मोह गहरा या अकाल मृत्य हुई हो उसे दूसरा जन्म लेने के कम से कम 1 साल का समय लगता है। बताया जाता है तीसरे वर्ष गया में उसका अंतिम तर्पण किया जाता है।
 

गरुड़ पुराण के अनुसार मृतक व्यक्ति की आत्मा पूरे 13 दिनों अपने परिजनों के बीच ही घूमती रहती है। यही कारण है गरुड़ पुराण का पाठ रखा जाता है। कहा जाता है इसके माध्यम से इंसान स्वर्ग-नरक, गति, सद्गति, अधोगति, दुर्गति आदि तरह की गतियों के बारे में जान लेता है।


इसके अलाव गरुड़ पुराण में भी मृतक व्यक्ति की आगे की यात्रा में उसे किन-किन बातों का सामना करना पड़ेगा, कौन से लोक में उसका गमन हो सकता है, इस बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया गया है।

इस पाठ को रखने का एक उद्देश्य यह भी होता है कि मृतक के परिजन उसी मृत्यु के माध्यम यह जान लेते हैं कि बुराई क्या है और सद्गति किस तरह के कर्मों से मिलती है, ताकि मृत्के परिजन भी भलिभांति जान लें कि उच्च लोक की यात्रा करने के लिए उन्हें कौन से कर्म करना चाहिए।

इन सब बातों से यही अर्थात निकलता है कि गरुड़ पुराण हमें सत्कर्मों के लिए प्रेरित करता है क्योंकि सत्कर्म से ही किसी भी व्यक्ति को सद्गति और मुक्ति मिलती है।

 

 

 

 

Jyoti

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