Garuda Purana: गरुड़ पुराण के अनुसार, इन वस्तुओं पर पड़ जाए 1 नजर तो मिलता है असीम पुण्य
punjabkesari.in Thursday, Aug 21, 2025 - 01:00 AM (IST)
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Garuda Purana: गरुड़ पुराण एक ऐसा पुराण है, जिसमें व्यक्ति के साथ मरने के बाद क्या होगा, इसका विस्तार से वर्णन है। इसे पढ़ने अथवा सुनने के बाद व्यक्ति शुभ कर्मों के लिए प्रेरित होता है। इसमें जीवन के मूल्यों और आदर्शों का वर्णन भी मिलता है। इसके अलावा इसमें ऐसी कई नीतियां बताई गई हैं, जो जीवन को उत्तम बनाने में अपना पूरा योगदान देती हैं। आईए जानें, कैसे बिना कुछ खर्च किए मात्र नजर भर इनको देख लेने से कैसे मिलता है अक्षय पुण्य और इन से संबंधित उपाय करने से प्राप्त होता है अक्षय पुण्य।

गरुड़ पुराण के अनुसार- गोमूत्रं गोमयं दुन्धं गोधूलिं गोष्ठगोष्पदम्। पक्कसस्यान्वितं क्षेत्रं द्ष्टा पुण्यं लभेद् ध्रुवम्।।
अर्थात- गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूली, गोशाला, गोखुर और पके हुए हरे-भरे खेत नजर भर देख लेने से पुण्य प्राप्त होता है।

गौमूत्र
गौमूत्र में गंगा मईया वास करती हैं। गंगा को सभी पापों का हरण करने वाली माना गया है। वास्तु दोष आपको काफी कष्ट दे सकता है लेकिन वास्तु दोष निवारण के महंगे उपायों को अपनाने से बेहतर है आप घर में गौमूत्र का छिड़काव करें। जिससे आपके बहुत सारे वास्तु दोषों का समाधान एक साथ हो जाएगा। गाय को मूत्र करते देखने से ही पुण्य-लाभ होता है।

गोबर
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार गौ के पैरों में समस्त तीर्थ व गोबर में साक्षात माता लक्ष्मी का वास माना गया है। मन में श्रद्धा रखकर गाय के गोबर को देखने से पुण्य की प्राप्ति हो जाती है।

गौ दुग्ध
गाय को माता माना गया है इसलिए गौमाता का दूध पवित्र और पूजनीय है। आयुर्वेद में देशी गाय के ही दूध, दही और घी व अन्य तत्त्वों का प्रयोग होता है। जो व्यक्ति गाय को दूध देते हुए देख ले उसे शुभ फल प्राप्त होते हैं।
गौधूली
जब गाय अपने पैरों से जमीन खुरचती है तो जो धूल उड़ती है उसे गोधूली कहा जाता है। वो धूल पावन होती है उसे देखने मात्र से ही व्यक्ति पुण्य का भागी बन जाता है।

गौशाला
जहां बहुत सारी गाय संयुक्त रूप से रहती हैं उस स्थान को गौशाला कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के धाम जाने का सरलतम माध्यम है प्रतिदिन गौ सेवा करना। रोजाना गौशाला को मंदिर समान भाव से नमन करने से अक्षय पुण्य मिलता है।
गोखुर
जब गौ अपने पैर के नीचे से जमीन खुरचती है उस प्रक्रिया को गोखुर कहा जाता है। गौ माता के पैरों में लगी मिट्टी का जो व्यक्ति नित्य तिलक लगाता है, उसे किसी भी तीर्थ में जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उसे सारा फल उसी समय वहीं प्राप्त हो जाता है।

पकी हुई खेती
खुली जमीन पर चारों ओर फैले हरे-भरे खेत अपनी अलग ही अद्भुत छटा बिखेरते हैं। उन्हें देखने से जहां सुकुन की प्राप्ति होती है वहीं पुण्य के भागी भी बना जा सकता है।

