गांव देवी माता के दर्शन के लिए 185 सीढियां चढ़कर पहुंचते हैं लोग

Wednesday, Oct 21, 2020 - 05:04 PM (IST)

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हमारे देश में नवरात्रि आरंभ होती ही लगभग प्रत्येक देवी मंदिर में श्रद्धालुों की भीड़ देखने को मिलती है। नवरात्रि के इसी खास अवसर पर हम आपको बताने वाल हैं मुंबई के अंधेरी की एक बहुत बड़ी चट्टान के बारे में जहां पर विराजित हैं गांव देवी माता। आपको बता दें कि मुंबई में सीथ गिल्बर्ट हिल नामक एक विशाल चट्टान है, जो 6 करोड़ साल पुराने ज्वालमुखी से निर्मित है। सालों पुरानी ये चट्टान पृथ्वी पर सबस पहले जीवन की साक्ष्य के तौर पर खड़ा है। बताया जाता है इसकी तुलना अकसर पूर्वी कैलिफोर्निया में डेविल्स पोस्टपैल नेशनल स्मारक और वायोमिंग में स्थित शैतान टॉवर से की जाती है। इस चट्टान की ऊंचाई 200 फीट है और कहा जाता है कि पहले यह 56 एकर में फैला हुआ था। जिसे तोड़ तोड़कर मुंबई शहर के एक हिस्से को बसाया गया है। विडंबना यह है कि विश्व का यह धरोहर अब लुप्त होने की कगार पर है। अतिक्रमण के चलते अब इस चट्टान का कुछ ही हिस्सा बचा हुआ है। 

185  सीढ़ी चढ़ने पर आप को यह सुंदर मंदिर दिखाई देने लगता है। मंदिर में प्रवेश करने पर गांव देवी माता का मन मोहक मुख देखते ही भक्त अपनी सारी थकान भूल जाते हैं। गाव देवी माता का इतिहास 400 साल पुराना है और यह स्वयंभू है। मंदिर के गर्भगृह में माता जी विराजमान हैं। गांव देवी माता के दाई और गणेश जी और बाई और अंबे माता विराजमान हैं और ठीक गर्भगृह के सामने श्री हनुमान जी विराजमान हैं। धनगर समाज, वदारी समाज और कोली समाज के लोगो का गांव देवी माता पर अपार श्रद्धा है, लोगों की मानयता है कि वह मां से जो भी मुराद मांगते हैं मां उनकी इच्छा पूरी करती हैं। इसलिए यहां पर हमेशा भक्तों की भीड़ लगी हुई रहती है।

पहले यह मंदिर काफी छोटा हुआ करता था, लेकिन धीरे धीरे भक्त और दानशूर लोगों की सहायता और माता जी की कृपा से आज यह भवन भव्य रूप धारण कर चुका है। इस मंदिर की कलाकारी देखते ही बनता है। लोगों का कहना है कि इस मंदिर में आने से और यहां की शीतल छाया में बैठने से मन को काफ़ी सुकून मिलता है। 

यहां पर हनुमान जयंती और नवरात्र उत्सव बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। नवरात्री में यहां पर घट स्थापना की जाती है। शहर और इसके बहार से भी लोग मां के दर्शन के लिए इस पहाड़ पर पहुंचते हैं। नवरात्र में यहां पर मां के भंडारा का आयोजन होता है और पुरे 9 दिनों तक गरबा रास खेला जाता है। लेकिन इस साल सभी धार्मिक स्थल बंद होने के कारन काफी कम मात्रा में सोशल डिस्टंस का पालन करते हुए भक्त मां के दर्शन के लिए आ रहे हैं।

भक्तों का कहना है कि गांव देवी माता इस पहाड़ पर बैठी हुई है इस लिए यह ऐतिहासिक धरोहर अभी तक बचा हुआ है वरना यह कब का लुप्त हो गया होता। मंदिर के ट्रस्टी हरीश नेवरेकर ने इस पहाड़ का इतिहास और इस पहाड़ को बचाने के लिए उनके द्वारा की जा रही कोशिश और समस्या के बारे में बताया। 
 

Jyoti

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