Gangaur: श्रेष्ठ वर पाने और पति की सलामती का पर्व है गणगौर

punjabkesari.in Wednesday, Apr 10, 2024 - 06:35 AM (IST)

 शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Gangaur 2024: गणगौर यानी गवरजा यानी इसर-गौरी (शंकर-पार्वती) की पूजा। यह 18 दिवसीय पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष एकम से शुरू होकर चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तक चलता है। इस दौरान कुंवारी कन्याएं सुयोग्य व श्रेष्ठ वर की प्राप्ति के लिए इसर-गौरी की पूजा और सुहागिन महिलाएं पति की सलामती की कामना करती हैं।

PunjabKesari  Gangaur
Gangaur festival in rajasthan: गणगौर राजस्थान व सीमावर्ती इलाकों का त्यौहार है। गणगौर के दौरान कुंवारी लड़कियां व विवाहित महिलाएं शिव (इसर) और पार्वती (गौरी) की पूजा करते हुए दूब से पानी के छींटे देते हुए गोर-गोर गोमती गीत गाती हैं। गौर पर सिंदूर और चूड़ी चढ़ाने का विशेष प्रावधान है। चंदन, अक्षत, धूपबत्ती, दीप, नैवेद्य से पूजन करके भोग लगाया जाता है।

PunjabKesari  Gangaur
Gangaur Festival Rituals: गणगौर राजस्थान में आस्था, प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बड़ा उत्सव है। गण (शिव) व गौर (पार्वती) के इस पर्व में विवाहित महिलाएं चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन और व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं और आठ दिनों के बाद इसर (शिव) उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं। चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है। गणगौर की पूजा में गाए जाने वाले लोकगीत इस अनूठे पर्व की आत्मा हैं। इस पर्व में गवरजा और इसर की बड़ी बहन और जीजाजी के रूप में गीतों के माध्यम से पूजा होती है।

PunjabKesari  Gangaur


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News