गंगा दशहरा 2019: गंगा में स्नान करते समय करें इस मंत्र का जाप, मिलेगा दोगुना लाभ

punjabkesari.in Wednesday, Jun 12, 2019 - 10:37 AM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानि 12 जून 2019 को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। शास्त्रों में इस दिन का अधिक महत्व बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गंगा दशहरा के दिन मुख्य रूप से गंगा मां की पूजा का विधान होता है। ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को दशहरा कहते हैं। इसमें स्नान, दान, रूपात्मक व्रत करने बहुत लाभदायक माना जाता है। इस त्यौहार का महत्व स्कंदपुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है इसमें विशेष तौर से स्नान और दान करना चाहिए। तो आइए जानते हैं गंगा दशहरा से जुड़ी कुछ खास बातें। साथ ही जानेंगे इस दिन किए जाने वाले कुछ खास मंत्रों के बारे में जिनका इस खास दिन जाप करना अत्यंत शुभकारक माना जाता है। 
 

शिव की जटाओं में कैसे पहुंची गंगा
पौराणिक कथाओं के अनुसार वामन अवतार में बलि के यज्ञ के दौरान जब श्रीहरि का एक चरण आकाश एवं ब्रह्माण्ड को भेदकर ब्रह्मा जी के समक्ष स्थित हुआ तब ब्रह्मा ने अपने कमण्डल के जल से उनके चरणों की पूजा की थी। कहा जाता है कि पांव धुलते समय श्री हरि के चरणों का जल हेमकूट पर्वत पर गिरा, और भगवान शंकर के पास पहुंचकर वह जल गंगा के रूप मे उनकी जटा में स्थित हो गया। 
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जिसके बाद गंगा बहुत काल तक भगवान शंकर की जटा में ही भ्रमण करती रहीं। इसके बाद सूर्यवंशी राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ ने अपने पूर्वज राजा सगर की दूसरी पत्नी सुमति के साठ हज़ार पुत्रों का विष्णु के अंशावतार कपिल मुनि के श्राप से उद्धार करने के लिए शंकर की घोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने गंगा को पृथ्वी पर उतारा। शास्त्रों में इससे जुड़ा एक श्लोक वर्णित है जो इस प्रकार है-

ज्येष्ठ मासे सिते पक्षे दशमी हस्तसंयुता। हरते दश पापानि तस्माद् दसहरा स्मृता।। 

अर्थात- ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि बुधवार, हस्त नक्षत्र में दस प्रकार के पापों का नाश करने वाली गंगा का पृथ्वी पर आगमन हुआ। उस समय गंगा तीन धाराओं में प्रकट होकर तीनों लोकों में गईं और संसार में त्रिसोता के नाम से विख्यात हुईं।  

जानें कब गंगा लौट जाएंगी स्वर्ग लोक
शिव, ब्रह्मा और विष्णु के संयोग से पवित्र होकर त्रिभुवन को पावन करती हुई, समस्त पापों-दुखों और शोकों से मुक्त करती हुई गंगा वर्तमान अट्ठाईसवें चतुर्युगीय में कलियुग के प्रथम चरण के आरंभ होते ही कुछ सहस्त्र वर्षों बाद जब माँ पृथ्वी के पाप का बोझ उठाना कठिन हो जाएगा तब गंगा पृथ्वी लोक त्यागकर अपने लोक चली जाएंगी।
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10 पापों से मुक्ति दिलाता है गंगा स्नान
मान्यता के अनुसार गंगा ध्यान और स्नान से प्राणी 10 प्रकार के दोषों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर, ईर्ष्या, ब्रह्महत्या, छल, कपट, परनिंदा जैसे पापों से मुक्त हो जाता है। इतना ही नहीं अवैध संबंध, अकारण जीवों को कष्ट पहुंचाने, असत्य बोलने व धोखा देने से जो पाप लगता है, वह पाप भी गंगा 'दशहरा' के दिन गंगा स्नान से धुल जाता है।

स्नान का महामंत्र
गंगा दशहरा के महापर्व पर भक्तों को स्नान करते समय माँ गंगा का इस मंत्र के द्वारा ध्यान करना चाहिए-
'विष्णु पादार्घ्य सम्भूते गंगे त्रिपथगामिनी! धर्मद्रवीति विख्याते पापं मे हर जाह्नवी।'
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गंगा में डुबकी लगाने का मंत्र
गंगा में डुबकी लगाते समय श्रीहरि द्वारा बताए गए इस सर्व पापहारी मंत्र को जपने से व्यक्ति को तत्क्षण लाभ मिलता है-
'ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः। '
 


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Jyoti

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